शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। एसडी कालेज आॅफ इन्जिनियरिंग एण्ड टैक्नोलोजी में मित्रता दिवस के अवसर पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि महामृत्युंजय सेवा मिशन के डा0 संजीव शर्मा, विशिष्ट अतिथि साहित्यकार डा0 अ0 कीर्तिवर्धन, संस्थान के अधिशासी निदेशक प्रो0 (डा0) एसएन चैहान व प्राचार्य डा0 एके गौतम ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके किया। कार्यक्रम का संचालन शिवानी कौशिक ने किया।
गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि डा0 संजीव शर्मा ने कहा कि मित्रता का सबसे बड़ा उदाहरण कृष्ण भगवान है कृष्ण सखा के रूप में सबके रहे जैसे-अर्जुन, उद्धव और सुदामा। कृष्ण ने हमेशा सुदामा के साथ मित्रता का भाव रखा और उन्हे कभी अपने राजा होने का घमंड नही दिखाया। विशिष्ट अतिथि डा0 अ0 कीर्तिवर्धन ने कहा कि दोस्त वो होता है, जिससे आप अपनी आन्तरिक भावनाओं को सांझा कर सके। उन्होने अपनी स्वरचित कविता की पंक्तियां सुनाई-
हाले दिल कहलाने के लिये दोस्त होना चाहिये।
दिल कहे समझे मुझे ऐसा होना चाहिये।
जब भी होता मन व्यथित
दोस्त को पता चल जाता है।
रिश्ते नातों की भीड़ से अलग
दोस्त खड़ा नजर आता है।
इस अवसर पर अधिशासी निदेशक प्रो0 (डा0) एस0 एन0 चैहान ने कहा कि मित्रता दिवस की शुरूआत अमेरिका से हुई थी, जिसके मूल में एक घटना थी। उन्होंने बताया कि सन् 1935 में अमेरिकी सरकार ने एक आदमी की हत्या कर दी थी तो मृतक के दोस्त ने भी आत्महत्या कर ली थी। तभी अमेरिकी सरकार ने इस दिन को मित्रता दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया था। उन्होंने बताया कि यूएनओ ने बाद में 30 जुलाई को अन्तर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस के रूप में मनाने का संकल्प लिया था, परन्तु भारत में अगस्त के प्रथम रविवार को प्रतिवर्ष मित्रता दिवस मनाया जाता है। डा0 चैहान ने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति में मित्र का बहुत ऊँचा स्थान है, जो एक श्लोक से सिद्ध होता है। ‘‘तुम्ही हो बन्धु सखा तुम्ही हो‘‘।
प्राचार्य डा0 ए0 के0 गौतम ने कहा कि दुनिया के कई रिश्तों से इतर दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है जो अपने दोस्त में धर्म और जाति के बंधनों का नही देखता। इसे हर कोई दिल खोल कर मानता है। ऐसा माना जाता है कि दुनियाभर में सांस्कृतिक, राजनितिक और धार्मिक मतभेदों को दूर करने के लिये दोस्ती ही सबसे महत्वपूर्ण रिश्ता है। इसलिये दुनिया भर में इस दिन का दिल खोल कर स्वागत किया जाता है।
कार्यक्रम की संयोजक पारूल गुप्ता ने बताया कि एक व्यापारी ने सन् 1930 में इस दिन को मनाने की शुरूआत की थी। इस व्यापारी का नाम जोएस हाल था। उन्होने उस दिन अपने मित्रों को कार्डस और उपहार दिये थे। तभी से मित्रता दिवस मनाया जाता है।
इस अवसर पर डा0 पारेश कुमार, डा0 योगेश कुमार शर्मा, डा0 प्रगति शर्मा, डा0 आरटीएस पुंडीर, अभिषेक राय, मनोज झा, डा0 नवीन द्विवेदी, डा0 नितिन गुप्ता, जितेन्द्र कुमार, संगीता अग्रवालने गोष्ठी के उपरान्त एक दूसरे को फ्रेन्डशिप बैंड पहनाकर मित्रता दिवस की बधाई दी।
ज्ञात हो कि भारत में हर साल अगस्त के पहले रविवार को ‘‘मित्रता दिवस’’ मनाया जाता है। यह खास दिन मित्रों को समर्पित होता है। इस दिन मित्र एक दूसरे को उपहार, कार्डस व फ्रेन्डशिप बैंड देते है। जीवन में दोस्त बहुत महत्वपूर्ण होते है एक सच्चा दोस्त जीवन की हर परिस्थिति में साथ निभाता है। इस दिन हम अपने दोस्तों को हर स्थिति में साथ निभाने के लिये धन्यवाद कह सकते है।
एसडी कालेज आॅफ इन्जिनियरिंग एण्ड टैक्नोलोजी में मित्रता दिवस के अवसर पर गोष्ठी आयोजित
byHavlesh Kumar Patel
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