लेखक
अ कीर्ति वर्द्धन, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। दर्द जहां का लिख सकता हूं, शब्दों में, अर्थ दर्द का लिख सकता हूं, शब्दों में। खुद का दर्द सुनाऊं किसको, सभी दुखी, हमको दर्द रहित सब समझें, शब्दों में। मेरे आंसू मेरी आहें, सबको झूठी लगती, मेरी झूठी सच्ची बातें, सबको सच्ची लगती। दिल चीर कर दर्द दिखाना, जब जब चाहा, दर्द भरी मेरी आहें भी, सबको नौटंकी लगती। लेखक बनना भी इस जग में, आसान कहां है, अपने हिस्से का सच लिखना, आसान कहां है? झूठ फरेब मक्कारी से भरी हुई इस दुनिया में, सच को सच सच लिखना, आसान कहां है? मुजफ्फरनगर, उत्तरप्रदेश
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