डॉ. दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
पांच सितम्बर गुरुदिवस,राधा कृष्ण मनाय।
शिक्षक सारे राष्ट्र का,निर्माता कहलाय।।
जयजयजयजय शिक्षक भाई।
सारा जग है करत बड़ाई।।1
गुरु विश्वामित्र द्रोण कहाये।
सांदिपन ने कृष्ण पढ़ाये ।।2
तुम चाणक बन राष्ट्र बनाते।
चन्द्रगुप्त को राज दिलाते।।3
तुम गुरुवर बन कला सिखाते।
जनगणमण भी गान कराते।।4
राजनीति शिक्षा में आई।
तब से गुरु की साख गिराई।।5
शिक्षक के हैं भेद अनेका।
शिक्षा कर्मी गुरुजी एका।।6
संविदा उच्च सहायक जानो।
व्याख्याता प्राचार्य बखानो।।7
अतिथि की नही तिथी बताते।
जीवन दुखड़ा सभी सुनाते।।8
समय का फेर बदलते देखा।
आय व्यय का करते लेखा।।9
कर्मचारी बन वेतन पाओ।
सकल योजना तुम्हीं चलाओ।10
बच्चों को भोजन खिलवाओ।
मिड डे की भी डाक बनाओ।।11
समग्र अयडी भी बनवाओ।
ता पीछे मेपिंग करवाओ।।12
बैकों में खाते खुलवाओ।
छात्रवृत्ति भी तुम डलवाओ।।13
पुस्तक वितरण भी करवाना।
सायकल नेता से बंटवाना।14
स्वच्छता अभियान चलाओ।
स्कूल प्रांगण साफ कराओ।।15
शिक्षा रथ ले अलख जगाओ।
पोस्टर रैली भी करवाओ।16
सकल आदेश पालन हारे।
देश धरम के तुम रखवारे।।17
जनगणना के तुम अधिकारी।
घर घर जाके लिखत विचारी।।18
पल्स पोलियों दवा पिलाना।
स्वास्थ्य परीक्षण भी करवाना।19
वोटर सूची की तैयारी ।
चुनाव ड्यूटी विपदा भारी।।20
कोरोना ने मार मचाई।
फिर भी शिक्षक करे पढ़ाई।।21
टच मोबाइल अलख जगाया।
ऑन लाईन पाठ पढ़ाया।।22
शिक्षक सारी लेब चलाता।
फिर भी सबको पाठ पढ़ाता।।23
टी एल नवाचार बनाओ।
नित नव विधि को अपनाओ।।24
खोज यात्रा पर ले जाना।
बच्चों का भी मन बहलाना।।25
खेल खेल में सबक सिखाना।
प्रेम दया सद्भाव दिखाना।।26
स्मार्ट क्लास का नया जमाना।
ऐसा भी जादू बतलाना।।27
बोर्ड चाक शिक्षक के साथी।
डस्टर पेन व पुस्तक पाटी।।28
लेख कहानी कविता गाओ।
चित्र बनाओ पेड़ लगाओ।।29
हे शिक्षक तुम शिक्षा योगी।
मत बनना तुम वेतन भोगी।।30
अफसर नेता से मत डरना।
अपना काम समय पर करना।31
डेली डायरी भी तुम भरना।
हक्क लड़ाई देना धरना।।32
स्कूल को मंदिर बनवाना।।
पाठ योजना प्रभु के शरणा।।33
कलाम अब्दुल राधा कृष्णा।
सादा जीओ छोड़ो तृष्णा।।34
बच्चे ही भगवान के रूपा।
तुम ही हो कक्षा के भूपा ।।35
बाल मनों के संशय हरना।
खुशियों से जीवन को भरना।।36
तुम जग में शिक्षा के दानी।
तुम ही हो बच्चों की वाणी।।37
सरस्वती के पूत कहाते।
छोड़े सारे झूठे नाते।।38
तुम ही ब्रह्मा विष्णु कहाते।
शिव बनके सब विष पी जाते।39
गुरुवर तुमको शीश नवाऊं।
जीवन भर आभार मनाऊॅं।।40
मै ग्वाला था बापरा,धन से था लाचार।
एक तुम्ही थे आसरा, जीवन का आधार।।
23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश