शि.वा.ब्यूरो, प्रयागराज। अराजकता रोकने, अनुशासित कार्यप्रणाली लागू करने के लिए यूपी बार काउंसिल ने वकीलों को सीओपी (सíटफिकेट ऑफ प्रैक्टिस) नंबर लेने का निर्देश दिया है। सीओपी नंबर लेने के बाद ही प्रैक्टिस करने की अनुमति है। जिन वकीलों के पास सीओपी नंबर नहीं है अथवा उसकी समयावधि खत्म हो गई है। उन्हें नियमानुसार नंबर लेने का निर्देश दिया गया है। जिला बार संघों के माध्यम से काउंसिल हर वकील के सीओपी नंबर की जांच कराएगी। बिना नंबर लिए वकालत करने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
यूपी बार काउंसिल का मानना है कि वकीलों की छवि खराब करने के लिए कुछ तत्व अलग-अलग मौकों पर काला कोट पहनकर अराजकता करते हैं। इससे समाज में वकीलों की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। काउंसिल के पास हर सीओपी नंबर धारक वकील का पूरा ब्योरा होता है। ऐसी स्थिति में अगर कोई गलत हरकत करेगा तो उसकी आसानी से पहचान हो सकेगी।
यूपी बार कौंसिल के अध्यक्ष जानकी शरण पांडेय व मिर्ज़ापुर डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के माता प्रसाद सिंह एडवोकेट बताते हैं कि 2010 के बाद एलएलबी करने वालों को सीओपी नंबर लेना अनिवार्य किया गया है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया इसकी परीक्षा करवाता है और परीक्षा में पास होने वालों को सीओपी नंबर जारी किया जाता है। हर पांच साल में उसका नवीनीकरण किया जाता है। नवीनीकरण में लड़े गए केसों का ब्योरा देना होता है।
जानकी शरण पांडेय का कहना है कि बीसीआई के निर्देशानुसार बिना सीओपी नंबर के अधिवक्ता वकालत नहीं कर सकते और न ही बार काउंसिल अथवा बार संघ के चुनाव में भागीदारी कर सकते हैं। वह वकीलों के हित में चलने वाली तमाम योजनाओं के लाभ से भी वंचित रहते हैं। उन्होंने बताया है कि बिना सीओपी नंबर लिए कोई वकालत न करने पाए उस दिशा में तेजी से कदम उठाया जा रहा है। नियम न मानने वाले वकीलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
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