हिंदी के सच्चे सेवक हैं डाॅ मसानिया

श्याम माहेश्वरी, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

चलीसा सम्राट डाॅ दशरथ मसानिया ने शैक्षणिक नवाचार की 20 से अधिक पुस्तकें लिखकर अद्वितीय कार्य है। देशभर की पत्र पत्रिकाओं, आकाशवाणी, दूरदर्शन, फेसबुक, गूगल, वाटसप आदि पर देखा और पढ़ा जा सकता है। भाषा विद्वान योगेश उपाध्याय ने डाॅ मसानिया के चालिसाओं को अध्ययन की दृष्टि से 5 भागों में बांटा है --धार्मिक, शैक्षणिक, महापुरुष, महिला सशक्तिकरण और क्रीड़ा संबंधित।

महापुरुषों में आद्य गुरु शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद, नानकदेव, महात्मा गांधी, भीमराव अंबेडकर, तुलसीदास, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, मुंशी प्रेमचंद, जय शंकर प्रसाद, मुनि तरुणसागर, अटल बिहारी चालिसा का विशेष स्थान है। हनुमान चालीसा की तर्ज पर इन्हें देशभर में गाकर शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा बच्चों पहुंचाया जा रहा है। जहां एक ओर डाॅ मसानिया देश भर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित किये गये हैं, वहीं दूसरी ओर 6 मार्च 2007 में आचार्य सम्मान तथा 6 सितम्बर 2019 को राज्यपाल पुरुस्कार से सम्मानित किये जा चुके है। आप 14 सित्बर 1911 से सतत हिन्दी प्रचार-प्रसार में लगे है। भोपाल में 12 सितम्बर  2015  को दशम् विश्व हिन्दी सम्मेलन मे स्व रचित हिन्दी दोहावली का लोकार्पण किया।

उल्लेखनीय बात यह है हिन्दी चालीसा, पर्यायवाची, विलोम शब्द, कहावत, आरोह, क्षितिज चालिसाओं ने हिन्दी का सरलीकरण किया है। 230 दोहों में हिन्दी इतिहास,व्याकरण,गद्य,छंद,अलंकार,रस आदि का सार प्रस्तुत किया है।

 

 शिक्षक नगर, राजगढ

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