डॉ. मिली भाटिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।गुरु गोविंद दोहूँ खड़े काके लागू पायबलिहारी गुरु आपने गोविंद दियों मिलाय
बचपन से ही मुझे चित्रकला का बहुत शौक था। जब मैं कक्षा 7 में थी तो सायाराम वाघमारे सर के पास उनके घर चित्रकला सीखने जाने लगी। वैसे वे मेरे स्कूल अटामिक एनर्जी सेंट्रल स्कूल रावतभाटा में ऑर्ट शिक्षक थे। हाांकि वे हमारे सैक्सन को नहीं पढ़ाते थे, लेकिन वे मुझे हमेशा प्रोत्साहित करते रहते थे।
सायाराम वाघमारे सर कभी-कभी मुझे कहते यह चित्र मिली तुमने मुझसे भी अच्छा बनाया है। उनकी बात से में खिल उठती, फिर वो मुझे मेरे चित्र में प्यार से गलती बता कर कहते यह थोड़ी ऐसे बनती तो और अच्छा लगता। वो मुझे अमृता शेरगिल कहते तो मुझे लगता था कि जैसे मैं आसमान को छू रही हूँ। वे चिड़िया बनाना सिखाते तो कभी बच्चों को देख कर कॉपी करने को नहीं कहते थे। वो कहते थे कि अपनी कल्पना से चिड़िया को बनाओ। हम बच्चे कोई चिड़िया को उड़ता हुआ, कोई पेड़ के घोंसले में, कोई छत की मुँडेर पर बैठे हुए बनाता, चिड़िया वोही होती पर चित्र हर बच्चे के अलग बनते।
वो हर बच्चे को प्रोत्साहित करते और हमें नन्हें चित्रकार कहते थे। उनके निर्देशन में कक्षा 8 में मैंने पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीता तो उनकी ख़ुशी मुझसे दुगनी थी। उनकी इच्छा थी कि मैं जेजे स्कूल ओफ़ आर्ट मुंबई से बीफए करु, पर कुछ कारणवश मैं नहीं कर पाई। बीए में चित्रकला विषय ले कर राजस्थान विश्वविद्यालय से चित्रकला में पीएचडी ज़रूर की। उनके मार्गदर्शन से ही में 15 साल से नन्हें बच्चों को चित्रकला सिखाती आ रही हूँ। मैंने नारी के दर्द पर पेंटिंग सिरीज़ की एग्ज़िबिशन की थी, जो टीवी पर भी प्रसारित हुई थी। मेरी थीसस का विषय भारतीय लघु चित्रों में देवियों का अंकन था।
श्री सायारम वाघमारे सर को दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ। आज वे रिटायमेंट के बाद मुंबई में हैं, लेकिन मुझसे लगातार सम्पर्क में हैं। वे देश-विदेश में अपनी एग्ज़िबिशन करते रहते हैं। उनके बनाये पोर्ट्रेट अवेम लैंड्स्केप भारत की अमूल्य पूँजी है। शिक्षा वाहिनी न्यूज़ पेपर के माध्यम से उन्हें हैपी टीचर डे विश करती हूँ।
आर्टिस्ट रावतभाटा राजस्थान
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