सखी सहेली (मित्र् दिवस पर विशेष)


उमा ठाकुर, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

विविध भारती का सखी सहेली  

   कार्यक्रम हो या आकाशवाणी

  शिमला का महिला सम्मेलन.

हर सक्रिप्ट में छुपी 

अनगिनत कहानियाँ

कुछ अनकही,अभासी,

तितली सा रंग

 जिन्दगी में बिखेरती

कभी रिश्तों की डोर सहेजती.

 

स्टूडियो में बैठी सखी

मधुर गीत चुनने में वयस्त है

 ताकि दूर बैठी अनाम सखी

को पल भर की खुशी का 

अहसास करा सके

कन्सोल संभालती कभी यूं ही

खो जाती है वह भी अ्तीत में

चुन लाती है बाबुल की 

बगिया से सुन्दर फूल

  पिरो कर शब्दों की माला

बिखेर देती है ब्रहांड में खूशबू

जो रेडियो तरंगों में छिपकर छू

 लेती है तार दिलों के उस सखी

 के जो जोत रही है हल दूर बहुत

 दूर गाँव के किसी कोने में .

तपती दुपहरी में,रेडियो सैट पर

 सुनती है वो अपने नाम के साथ 

 फरमाईशी गीत.

 साथ ही सुनती है वह बातें

 सामाजिक मुद्दों पर

 बेटी अनमोल,

महिला सशक्तिकरण

घरेलू हिसां आदि आादि

 और भी बहुत कुछ 

जो लगते हैं उसे अपने से मुद्दे

उतरते हैं गहरे भीतर 

गीत संगीत के मांनिद

मजबूती से फिर उठकर

बीज देती है बंजर ज़मीन

आज वह सशक्त हो रही है

 मन से और तन से भी.

 

वहीं स्टूडियो में बैठी सखी

 मशगूल है शब्दों में छुपाकर कुछ

 अपना भी अनकहा सुनाने में

जो शायद वो कभी न कह पाए

या कोई सुनना ही न चाहे

खुश है यही सोचकर

 कि उसे भी सुना जा रहा है

टटोलती रही जिसे हर पल वो

 वज़ूद  उसे आज मिला है

 कार्यक्रम का आखिरी गीत वह

 अपनी पसंद का सुना रही है.

 

आयुषमान(साहित्य सदन), पंथाघाटी, हिमाचल

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