अनोखा बंधन


आशुतोष, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

बहन भाई का अनोखा प्रेम बंधन

जिसे  कहते  है  सभी  रक्षा बंधन।

 

धागा नहीं यह प्रेम विश्वास की डोर

दोनो दो किनारे फिर भी प्रेम बडजोर।

 

आशा निराशा का यह जीवन चक्र है 

फिर भी भाई बहन को कहाँ फर्क है।

 

दोनो का स्नेह प्रगाढ़ यह संस्कृति है 

हम भारतवासी की यही शक्ति भी है।

 

दोनों करते है कामना एक दूजे के लिए 

यही बस विश्वास है जिन्दगी के लिए।

 

जीवन अनोखा है कब रूके किसे पता

जब तक चले बांटते चलो खुशियाँ सारा।

 

जो आज बीत रहा वह फिर न आएगा 

कैद कर लो सारी खुशीयो का नजारा।।

 

खूब खाओ खूब खिलाओ बांटो प्रेम सभी

आशु दे बधाई पर्व मनाओ खुशी से सभी

 

                                        पटना बिहार 

 

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