15 साल से नन्हे बच्चों के साथ चित्रकारी में आनंद ढूँढ रही  हैं आर्टिस्ट डा.मिली भाटिया


शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


मिली भाटिया का जन्म 18 फरवरी 1986 को हुआ था। उन्हें बचपन से ही चित्रकारी का शौक था और होनहार बिरवान के होत चिकने पात की तर्ज पर मिली ने 2008 में चित्रकला में एमए पास करके 2013 में राजस्थान विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त कर ली। डा. मिली भाटिया ने भारतीय लघु चित्रों में देवियों का अंकन विषय पर अपना शोध प्रस्तुत किया था। शोधार्थी के रूप में मिली भाटिया ने जवाहर कला केंद्र जयपुर में अपनी पहली एग्जिबिशन नारी अंतर्मन विषय पर आयोजित की थी। इस एग्जिबिशन में सात पेंटिंग के माध्यम से डा. मिली ने नारी के दर्द को उजागर किया था, जिसमें एक आँख के माध्यम से नारी के अंतर्मन की पीड़ा को उजागर किया था। 8 मार्च 2011 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर टेलीविजन पर 7 मिनट के शो में उनका नारी अंतर्मन प्रसारित हुआ था। डा. मिली भाटिया बताती हैं कि अपने शोध विषय भारतीय लघु चित्रों में देवियों का अंकन के माध्यम से नारी रूपी देवी पर जो अत्याचार हो रहे हें उन्हें रंग और ब्रुश के माध्यम से उकेर कर इस ओर आमजन का ध्यान आकर्षित करना है। 



बता दें कि डा.मिली भाटिया 15 साल से नन्हे बच्चों के साथ चित्रकारी में आनंद ढूँढ रही हैं। वे 15 साल से अब तक करीब 5000 बच्चों का मार्गदर्शन कर चुकी हैं। उनके इस प्रयास के चलते कला क्षेत्र में काफी यश प्राप्त हो रहा है। उन्हें विभिन्न संस्थाओं व मंचों द्वारा कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है। ललित कला अकैडमी की तरफ से कोटा में वर्ष 2012 को आयोजित एग्जिबिशन को सभी खूब सराहा था। इसी तरह डा.मिली भाटिया रावतभाटा के आर्य समाज, सेंटब कॉलोनी क्लब, टाउन्शिप क्लब, अनुकिरन क्लब आदि में एग्जिबिशन कर चुकी हैं। डाॅक्टर मिली भाटिया कोटा के ओम् कोठारी इन्स्टिट्यूट आॅफ मैनजमेंट एंड रीसर्च कालेज में 4 वर्ष से असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। वे प्रतिवर्ष अक्सर सरकारी स्कूल में बच्चों को शिक्षण सामग्री उपहार स्वरूप देती रहती हैं। इसके साथ ही वे वर्ष में दो बार नवरात्रि के अवसर पर सरकारी स्कूल की जरूरतमंद बेटियों को फ्राॅक व चप्पलें आदि वितरित करती हैं। 



डॉक्टर मिली भाटिया बताती हैं कि उनके प्रेरणास्रोत उनके पापा दिलीप भाटिया हैं तथा उनके जीवनसाथी यानी उनके पति आनंद यादव उनकी शक्ति हैं। इसके साथ ही उनकी खुशी, उनके सपनों की उड़ान उनकी बेटी लिली यादव और सभी नन्हें कलाकारों में ही निहित है। हाल ही में डा. मिली भाटिया ने कोविड 19 पर निशुल्क आॅनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की थी, जिसमें 200 से भी अधिक स्वदेशी और विदेशी बच्चों ने भाग लिया था। डा.मिली ने बताया कि वे 60 बच्चों को प्राइज देंगी। उन्होंने सभी बच्चों को उन्होंने ई-सर्टिफिकेट भेजे हैं। कोविड 19 के दौरान डा.भाटिया ने 500 बच्चों को ऑनलाइन चित्रकला के टिप्स दिये हैं। अपने इसी योगदान के लिए वे बच्चों में आर्टिस्ट मेम के नाम से फेमस हैं। आँखो में आजीवन रहने वाली केरटोकोनस बीमारी के बावजूद डा. मिली का कहना है कि बच्चों को चित्रकला सिखाना उनका मुख्य उद्देश्य है। 



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