आरसी शर्मा पांचाल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
विकास के हर क्षेत्रों में, चाहें वो राम सेतु हो, लोकसभा या विधानसभा हो, हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर हो, घर के नल-कल हो या कृषि कार्य के क्षेत्र हो अर्थात देश के कण-कण के उत्थान व विकास में विश्वकर्मा समाज ने अपनी शारीरिक व मानसिक बल के सार्थक प्रयास के द्वारा विश्वकर्मा समाज अपने कंधों के बल पर देश की विकास गाथा लिखी एवं जिम्मेदारी पूर्वक निर्वहन किया, किंतु आज सरकार की लचर व्यवस्था एवं आर्थिक बोझ में विश्वकर्मा समाज का कंधा कमजोड़ हो गई है। अब अपना ही बोझ उठाना बहुत मुश्किल हो रहा हैं। इस विपरीत परिस्थितियों में विश्वकर्मा समाज को एकजुटता दिखाते हुए और अन्य समाज को साथ मे लेकर आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि आनेवाले भविष्य में विश्वकर्मा समाज की सामाजिक-आर्थिक उत्थान के साथ एक नई सामाजिक शक्ति प्राप्त हो।
मुख्यत: विश्वकर्मा समाज में आगे बढ़ने की अपार मनोशक्ति है, किन्तु समाज की एकजुटता से एक सामाजिक शक्ति के साथ सामाजिक पहचान बनती है, इसलिए समाज में एकजुटता के लिए समाज के साथी को सुबह के चाय के बहाने एक- दूसरे मिल समाज को एकत्रित होकर अपने हक की लड़ाई लड़ने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय न्याय मंच भारत (फरीदाबाद) हरियाणा
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