राज शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला की तहसील करसोग की तत्तापानी पंचायत के 16 वर्षीय बालक राहुल रैना ने अपनी जान की परवाह किए बगैर शाकरा पंचायत के मीन चंद को कोल बांध के तत्तापानी बांध में डूबने से बचाया। जीवन रक्षण का यह कार्य सभी कार्यों में पुनीत कार्य है और जीवन का पोषण और रक्षण जीवन का कर्तव्य है। तत्तापानी के 16 वर्षीय राहुल रैना ने एक युवक को सतलुज नदी पर बने बांध के आगोश से स्वयं बांध में छलांग लगाकर उस वक्त युवक को बचाया, जब युवक की सांसे रुकने लगी थी। राहुल अपने होटल के टेरेस पर टहल रहा था जब उसने कुछ लोगों को बचाओ-बचाओ चीखते घटनास्थल पर पाया। किसी की इतनी हिम्मत नहीं हुई कि उफनती हुई नदी में जान पर खेलकर उस डूब रहे युवक को बचाये। राहुल ने अपने जीवन की परवाह ना करते हुए नदी में छलांग लगाकर अपनी नन्ही बांहों से नदी की लहरों के पाशों से उस डूबते हुए युवक को पकड़ नदी के किनारे तक लाया। 16 वर्ष की आयु में अपनी शारीरिक क्षमता पर विश्वास रखते हुए अपनी जीवन दांव पर लगाकर इस वीर बालक ने वीरता की वह मिसाल पेश की, जो बिरले ही देखने को मिलती है। राहुल की वीरता को देखते हुए पांगणा, करसोग, मंडी व हिमाचल की अग्रणी संस्थाओ ने राहुल रैना को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार देने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा है कि उसे राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए। ताकि बालकों के जीवन के प्रति जिजीविषा का मान उत्पन्न हो।
सुकेत संस्कृति साहित्य एवं जन कल्याण मंच पांगणा के अध्यक्ष डॉ. हिमेंद्र बाली "हिम", हिमाचल प्रदेश यूनियन आफ जनर्लिस्ट (इंडिया) के महामंत्री सुरेन्द्र शर्मा, पुरातत्व चेतना संघ मंडी के अध्यक्ष बीरबल शर्मा, संस्थापक मांडव्य कला मंच मंडी ( हिमाचल प्रदेश) कुलदीप गुलेरिया, राष्ट्रीय विकास संस्था शिमला (हिमाचल प्रदेश) के डॉक्टर ओ.पी.शर्मा, अध्यक्ष व्यापार मण्डल पांगणा सुमीत गुप्ता, संयोजक आशीर्वाद युवा मंडल पांगणा डॉ. जगदीश शर्मा, अखिल भारतीय सदस्य हिमाचल प्रदेश संयुक्त पटवार ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ मोती राम चौहान, जिला प्रभारी मंडी हि.प्र., भारत स्वाभिमान ट्रस्ट पतंजलि योग पीठ हरिद्वार जितेंद्र महाजन पांगणा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर सहित प्रशासन को पत्र लिखकर राहुल रैणा के अदम्य साहस को देखते हुए बाल शौर्य पुरस्कार प्रदान करने की शिफारिश की है।
पांगणा-मंडी-शिमला की शौर्य पुरस्कार हेतु सिफारिश करने वाली इन संस्थाओं के प्रमुखों का कहना है कि यह राहुल रैना के माता-पिता-बुजुर्गों की साधना और संस्कार का ही फल है। यही जीवन का सबसे बड़ा पुरुषार्थ भी है। सर्वात्मा भगवान श्री हरि हमेशा उस पर प्रसन्न होकर कृपा करते हैं जो अपने क्षण भंगुर प्राणों की बलि देकर भी दूसरे के प्राणों की रक्षा करते हैं। राहुल रैना ने ऐसी ही मिसाल प्रस्तुत की है, जिससे करसोग-मंडी-हिमाचल-राष्ट्र ही नहीं अपितु सनातन मानव धर्म का गौरव बढ़ा है।
संस्कृति संरक्षक, आनी (कुल्लू) हिमाचल प्रदेश
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