महेन्द्र सिंह वर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
कितने देशभक्तो ने जान दी देश बचाने को
उन्होने देर नहीं लगाई आने को
कई देशभक्तो के पास नहीं था खाने को
अंग्रेज भारत आए थे उनको सताने को
उन्होने मिटा दी अपनी जवानी को
आओ याद करे उनकी कुर्बानी को ।
शिवाजी ने मुग्लो से संघर्ष किया
जीवन भर उनको धुंआ दिया
चैन से न उनको कभी रहने दिया
अपना जीवन स्वाभिमान से जिया
न्यौछावर किया अपनी जवानी को
आओ याद करे उनकी कुर्बानी को ।
महाराणा प्रताप अकबर के आगे भी न झुके
80 किलो का भाला लेकर भी नहीं रूके
जब तक चितौड़ आजाद न करूं
खाऊँगा नहीं चाँदी की थाली में
भोजन किया घास की प्याली में
208 किलो की दो तलवारे थी चलाने को
आओ याद करे उनकी कुर्बानी को ।
भगत सिंह ने न्योछावर की
28 की उम्र में अपनी जान को
कम न होने दी भारतमाता की आन को
फाँसी चढ़े भारतीयों को जगाने को
अब क्रान्ति थी लाने को
पढ़ो उनकी जीवन कहानी को
आओ याद करे उनकी कुर्बानी को ।
कई महापुरषो के संघर्ष के बाद हम स्वतन्त्र हुए
जाने हमने कितने महापुरूष खोए
पता नहीं,कितनी-कितनी रातों नहीं सोए
संघर्ष की कई अज्ञात की कहानी है अभी सुनाने को
खत्म करो भ्रष्ट नेताओं की मन-मानी को
आओ याद करे उनकी कुर्बानी को।
भाटलुधार सोमनाचनी बालीचौकी (मण्डी) हिमाचल प्रदेश
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