राणा प्रताप चालीसा (महाराणा प्रताप जयंती पर विशेष)


डाॅ दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

जय हो राणा जय महाराणा।

जय  मेवाड़ा  राजपुताना।।

उदयपुरी उदेसिंह  बसाया।

गढ़ चित्तोड़ा दुर्ग बनाया ।।

मातु पिता तुम्हरे जस पाई।

उदय सिंह जसवंता बाई ।।

नौ मई पंद्रह सौ चालीसा।

जन्में राणा हिन्दू ईशा ।।

पूत अमरसिंह अजबद नारी।

चेतक घोड़ा करी सवारी।।

लम्बी भुजा लोह शरीरा।

माथे तिलक मेवाड़ी वीरा।।

तुम्हरा भाला ढाल कृपाणा।

हरते पलपल अरिदल प्राणा।।

हल्दी घाटी के मैदाना।

हाथी घोड़ा पैदल सेना।।

भिड़ते पुरुषारथ बल नाना।

तुम्हरे बल को सबने जाना।।

जब भाई ने धोखा दीना।

अकबर लाभा तुरतहिं लीना।

चेतक की जग करे बढ़ाई।

आसमान पे उड़ता भाई।।

अरावली में कीन पयाना।

विपदा काटी राम समाना।।

खाई घास पात की रोटी।

रो रो हिम्मत देती बेटी ।।

तात कभी ना शीश झुकाना।

दुश्मन को तो मार भगाना।।

रजपूती पे न दाग लगाना।

चाहे  प्राण  रहे या जाना।।

साहस  सेवा  देश भलाई।

जनजन तुमसे आस लगाई।

भामाशह ने  थैली खोली।

राणा के चरणों में  मेली ।।

शेर दिलेरा राणा बांका।

अकबर तुमसे थरथर कांपा।।

सकल समाजा जनम मनाता।

आज जगत तुम्हरा जस गाता।

जय जय करते देत दुहाई।

कवि मसान ने कविता गाई।।

 

आगर (मालवा) मध्य प्रदेश

Post a Comment

Previous Post Next Post