मां


कुंवर आरपी सिंह, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


एक जिज्ञासु ने स्वामी विवेकानंद से प्रश्न किया, कि मां की महिमा संसार में किस कारण से गाई जाती है? स्वामी जी ने मुस्कुराते हुए उस व्यक्ति से कहा-पांच शेर वजन का एक पत्थर ले आओ। जब वह व्यक्ति पत्थर ले आया तो स्वामी जी ने उससे कहा-अब इस पत्थर को किसी कपड़े में लपेट कर अपने पेट पर बांध लो और 24 घंटे बाद मेरे पास आओ, तब मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूंगा। स्वामी जी के आदेशानुसार उस व्यक्ति ने पत्थर को कपड़े में लपेटकर पेट पर बांध लिया और चला गया। पत्थर बांधे हुए दिन भर वह अपना काम करता रहा, किंतु हर क्षण उसे परेशानी और थकान महसूस हुई। शाम होते-होते पत्थर का बोझ संभाले हुए चलना फिरना भी उसके लिए कठिन लगने लगा। आखिर थका-मादा वह स्वामी जी के पास पहुंचा और बोला-मैं इस पत्थर को अब और अधिक देर तक बांधे नहीं रह सकूंगा। एक प्रश्न का उत्तर पाने के लिए मैं इतनी कड़ी सजा नहीं सह सकता। तब स्वामी जी मुस्कुराते हुए बोले-पेट पर इस पत्थर का बोझ तुमसे कुछ घंटे भी नहीं उठा गया, जबकि मां अपने गर्भ में पल़ने वाले शिशु को पूरे 9 माह तक ढ़ोती है और गृहस्थी का सारा काम भी करती है। संसार में मां के सिवा और कोई इतना धैर्यवान और सहनशील नहीं है, इसलिए मां से बढ़कर इस संसार में और कोई नहीं है


राष्ट्रीय अध्यक्ष जय शिवा पटेल संघ 


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