डाॅ दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
बुद्धि विद्या अर्जित करि, बने बुद्ध अवतार।
जग के हितकारी भये, कहें मसान विचार।।
जय जय बाबा भीमा प्यारे।
तुमने लाखों जीवन तारे।।
मालव माटी मऊ है प्यारी ।
जाकी महिमा जग से न्यारी।।
सन् अट्ठारह सौ इंकाणू ।
चौदह अप्रैल सदा बखानू।।
भीमा भाई भीमा जाए ।
पिता रामसकपाल कहाये।।
जन्मे भीमा भर किलकारी।
देव अंश मानव अवतारी ।।5
लिखते पढ़ते शाला जाते ।
भूख प्यास कोभी विसराते।।
कक्षा में भी नाम कमाते ।
नित नवचार तेज दिखलाते।।
ज्योति फुले ने बात बताई।
जीवन भर तुमने अपनाई।।
शिक्षा जीवन का रस भारी।
जिसने पाई वहि अधिकारी।
विद्या से पद पैसा पाते ।
नीचे भी ऊंचे बन जाते ।।10
तुमसा कौन जगत में दानी।
भाषाविद् जनजन कल्याणी।।
अर्थाविद् अरु विधि के ज्ञाता।
ज्ञानी गंगा भाग्य विधाता।।
सूरज जैसे ज्ञान प्रकाशा।
सारे जग की तुम ही आशा ।।
दीनदुखी का बने सहारा।
अनजाने को तुमने तारा ।।
सादा जीवन उच्च विचारा।
बाबा साहब नाम है प्यारा।।15
मानवता के तुमहि पुजारी।
सारी दुनिया तुमसे हारी ।।
जयजय भीमा बुध अवतारी।
दाता कानून समता धारी।।
भारत के संविधान का,कीना तुम निर्माण।
दलितों का उत्थान किया,कहते कवि मसान।।
आगर (मालवा) मध्य प्रदेश
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