प्रभाकर सिंह, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
केदारनाथ पांडे के रूप में जन्म लेकिन रूढ़ियों की बंदिश व जातिवादी व्यवस्था की सड़ांध से आजिज आकर बौद्द धर्म ग्रहण करके नाम परिवर्तित करने वाले तर्कवादी विद्वान। अपनी लेखनी में अंधविश्वास, पाखंड, कर्मकांड, पोंगापंथी, जातिवाद, धार्मिक कुप्रथाओं पर खुलकर कलम चलाने वाले हिंदी यात्रा साहित्य के जनक के रूप में वोल्गा से गंगा लिखने वाले, तर्कवादी, 140 से ज्यादा किताबों के महान लेखक, पद्म भूषण से सम्मानित राहुल सांकृत्यायन जयंती पर उनको नमन।।
तुम्हारे धर्म की क्षय हो नामक लेख की ये लाईने मुझे सबसे ज्यादा पसंद हैं-
हिंदुस्तानियों की एकता मजहबों के मेल पर नहीं बल्कि मजहबो की चिता पर होगी। मजहबों की बीमारी स्वाभाविक है मौत छोड़कर उसका कोई इलाज नहीं।।
रिसर्च स्कॉलर, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद
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