मनमोहन शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
कोई तो देता है
खुंखार भेड़ियों को संरक्षण
ताकि कायम रहे
जेहन में बसी
बिखरे खून की महक
और देख सके
निरीह जीव का भक्षण
कोई तो छोड़ता है
लहलहाती फसलों पर
बंदरो, सुअरों की टोलियाँ
ताकि देख सके हाहाकार
मरते किसानों की
उनके लुटते अरमानों की
कोई तो पालता है
खुंखार शेरों को
ताकि देख सके
कराहते घायल मेमनों पर
शेरों का दुलार
मरते हाथियों की चिंघाड़
कोई तो सिखाता है चलाना
विनाशक हथियार
और बंदूक से गोली
ताकि मना सके दिवाली
रक्त रंजित होली
कोई तो बता्ता है
कानून तोड़ना
सजा का रूख
बेगुनाह की ओर मोड़ना
कहीं उजागर करना
कहीं मौन रहना
बिन खोले पत्ता
ताकि बनी रहे सत्ता
कोई तो पढ़ाता है
जात धर्म पर लड़ाना
थूक-थूक कर विषाणु फैलाना
जान पर खेलकर
लाखों जिंदगियाँ लील जाना
ताकि रहे हरेक दबा
और बन सके दबदबा
क्या इन सब से कोरोना की तरह लड़ नहीं सकते?
लॉक डाऊन कर्फ्यू की तरह अड़ नहीं सकते?
गरीबों की जगह इन पर ही पड़े जो डंडा
तो क्यों न हो ऊँचा भारत माँ झंडा?
कुसुम्पटी शिमला-9
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