अमजद रज़ा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
पूरा विश्व खतरनाक कोरोना बीमारी के खतरे से जूझ रहा है। बीमारी से बचाव के लिए साफ सफाई के सन्देश मोबाईल व अन्य साधनों पर प्रसारित किये जा रहे हैं, किन्तु सफाई को लेकर सरकारी अस्पताल स्वयं ही बीमार नजर आ रहे हैं। चारों ओर फैली गन्दगी लापरवाह तंत्र की लापरवाही को उजागर कर रही है। कोरोना से भयभीत नागरिक किसी भी आशंका लेकर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से चिन्तित है।
जनपद के भोपा गांव में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सफाई न होने के कारण कूडाघर बन कर रह गया है। अस्पताल के बायीं ओर झाडियों के पास साधारण कूडे के दो बडे ढेर अस्पताल में प्रवेश करते ही गन्दगी का एहसास कराते हैं। अस्पताल में आती दुर्गन्ध का कारण अस्पताल के कमरों के पीछे वैस्टेज सामग्री का बडा ढेर लगा हुआ है, जहां कचरे के ढेर से दुर्गन्ध फैल रही है। अस्पताल के दूसरे तल पर शल्य कक्ष में महिलाओं की शल्य चिकित्सा की जाती है।
शल्य कक्ष का मंजर खुद ही अपनी दास्तान बयां करता है। फर्श पर चारों ओर गन्दगी फैली हुई है। खाली सिरिंज, पट्टियां व खाद्य सामग्री, कूडेदान के आसपास बिखरी पडी हुई है तथा कोनों में चाय के खाली कप व डिस्पोजल सामग्री हवा के झोंकों के साथ नृत्य कर रही हैं। अस्पताल में फैली गन्दगी लापरवाही की नजीर है। एक ओर कोरोना की रोकथाम के उपायों की बातें तो दूसरी ओर अस्पतालों में स्वच्छता का प्रबन्ध न होने से आधी अधूरी व्यवस्था चिन्ताओं को जन्म दे रही है। प्राईवेट अस्पताल में इलाज महंगा है, इसलिए आम आदमी के लिये आज भी सरकारी व्यवस्था ही मुख्य साधन के रूप में नजर आती है, किन्तु स्वयं अस्पताल के ही बीमार होने से खुद का अंजाम साफ नजर आता है।
ककरौली, मुजफ्फरनगर
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