राजेश कुमार चव्हाण, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
दुनिया ठहर गई
देश में सन्नाटा है।
शहर मरघट लगने लगे,
गांव खुद को दोहराता है।
दुनिया कहर हो गई,
देश में अवसाद का झन्नाटा है।
शहरों में चिड़ियों के बोल,
गांव में बरकरार ठहाका है।
संघ-संगठन बेबस खड़े,
खुदाओं के दर पर ताले पड़े।
इंसान चार दीवारी में बंद,
प्रकृति डोल रही स्वच्छंद।
परदेश से देश की दौड़,
खुद को खुद से पीछे छोड़।
बच निकलने या बचाने की होड़,
भंवर से जिसका न कोई तोड़।
काल चक्र गतिमान,
तोड़ता आदमी का अभिमान।
पल भर ठहर जाने का इम्तिहान,
कहानियों संस्मरणों को याद आने का पैगाम।
तेबन करसोग (मंडी) हिमाचल प्रदेश
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