दीपा सोनी, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
अगर हम इतिहास की माने तो हम ये पाते हैं की नारी ने पुरुष के सम्मान एवं प्रतिष्ठा के लिए स्वयं की जान दांव पर लगा दी, नारी के इसी पराक्रम के चलते यह कहावत सर्वमान्य बन कर साबित हुई की प्रत्येक पुरुष की सफलता के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है। प्रत्येक दिवस मनाया जाना वाला ये उत्सव, माफ़ कीजियेगा मैंने उत्सव शब्द का प्रयोग महिला दिवस के परिपेछ्य में इसलिए किया है की मेरा ऐसा मानना है की ये उत्सव ही तो है जहाँ वर्ष में कम से कम एक दिन सम्पूर्ण सृष्टि का सृजन करने वाली नारी शक्ति के योगदान की पुरे विश्व में सराहना की जाती है, ये तो सर्वविदित है की समाज निर्माण में जितना योगदान पुरुषों का होता है उतना ही योगदान स्त्री का भी परन्तु जिस प्रकार का सम्मान पुरुषो को समाज में मिलता है उतना स्त्री को नहीं मिल पाता है, इसका प्रमुख कारण समाज की संक्रिण सोच महिलाओं को लेकर, परन्तु अब समय बदल गया है कुछ वर्षो पहले तक बहुत से ऐसे खेल थे जिसमे नारी को शारीरिक रूप से दुर्बल समझ कर खेलने से रोका जाता था आज उन्ही खेलों में वो अपना परचम लहरा रही हैं, फिर तो चाहे बात हो मुक्केबाज़ी, भारोत्तोलन, बैडमिंटन या फिर टेनिस की।
नारी देवत्व की प्रतिमा है, दोष तो सब में रहते हैं सर्वथा निर्दोष तो एक परमात्मा है अपने घर की नारियों में भी दोष हो सकते हैं पर तात्विक दृष्टि से नारी की अपनी विशेषता है उसकी आध्यात्मिक प्रवृत्ति। पुरुषार्थ प्रधान पुरुष अपनी जगह ठीक है पर आत्मिक संपदा की दृष्टि से वो पीछे ही रहेगा, द्रुत गति से बढ़ता आ रहा नवयुग निश्चित रूप से अध्यात्म चेतना से भरा-भूरा होगा मनुष्यों का चिंतन दृष्टिकोण उसी स्तर का होगा अवस्थाएं परंपरा उसी ढांचे में ढलेगी, जनसाधारण की गतिविधियां भी उसी दिशा में होगी ऐसी स्थिति में नारी को हर क्षेत्र में विशेष भूमिका निभानी पड़ेगी, उपर्युक्त परिस्थितियों में यह कथन सर्वथा सत्य साबित होता है।
भारत एक ऐसा सांस्कृतिक देश है जहां नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया जाता है. इतना ही नहीं संस्कृत में एक श्लोक है ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। इस श्लोक का अर्थ यह है कि जहां पर नारी की पूजा होती है उस जगह पर स्वयं भगवान निवास करते हैं. परंतु आज के समाज में नारी का हर जगह अपमान हो रहा है. नारी को एक इस्तेमाल की जाने वाली वस्तु समझ लिया गया है. हर दूसरा व्यक्ति नारी को अपने तरीकों से इस्तेमाल करने की कोशिश करता है जो कि बहुत ही अपमानजनक और चिंताजनक बात है. आज की दशा को देखते हुए यह बहुत जरूरी है कि हम नारी के सम्मान को बचाएं और अपने देश की संस्कृति का भी पालन करें।
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