नारी एक शब्द नही

संजय बागड़ी, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

नारी एक शब्द नही, 

हौसलों की उडान है.

बिना पंखों के उडती है,

मगर परियों के समान है.

 

आचँल होता खाली फिर भी.

ममता की दुकान है,

घाव गहरे दिल के अन्दर,

पर चेहरे पे मुस्कान है.

 

तन भी कोमल मन भी कोमल,

पर शक्तियों की खदान है.

नारी एक शब्द नही,

हौसलों की उडान है.

 

रुप कई दिखलाती है,

जब लक्ष्मी बन घर आती है.

जहां जहां पग तेरे पड़ते,

जन्नत वहीं  बन जाती है.

 

खतौली, (मुजफ्फरनगर) उत्तर प्रदेश

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