देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाओं का बेहतरीन काव्य संकलन है सिंहनाद


डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


जयपुर राजस्थान के कवि, साहित्यकार मनोज कुमार सामरिया मनु की प्रस्तुत कृति सिंहनाद देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाओं का बेहतरीन काव्य संकलन है।सामरिया की कविताएं वीर रस एवम श्रृंगार रस की अधिक होती है।देश की विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित सामरिया ने साझा संकलनों में भी अपनी उत्कृष्ट काव्य रचनाओं से रचनात्मक सहयोग दिया है।
सिंहनाद की कविताओं से राष्ट्रप्रेम,देशसेवा शहीदों के प्रति सम्मान जैसी भावना का उदय होता है। राष्ट्र जागरण में ऐसी कविताएं प्रमुख हैं। आजाद पूरण सिंह राजावत ने भूमिका में लिखा कि प्रस्तुत काव्य संग्रह की रचनाओं से भावी पीढ़ी देशभक्ति की परिभाषा से परिचित हो सकेंगे। सौ प्रतिशत सही है।
  वीर रस की कविताओं से सैनिकों व उनके परिवारों के प्रति सम्मान की भावना जगाना इस कृति का मूल उद्देश्य निहित है।
   माँ शारदे से वरदान की लालसा की कामना से इस कृति का शुभारंभ लेखन ने कर सिद्ध किया कि कवि की अध्यात्म में पूर्ण विश्वास है। सिंहनाद कर दो! हे सिंहों ,रचना में नेताओं में ईमान जगाने की बात कही। देश की प्रमुख समस्याओं भूख गरीबी महंगाई पर सियासत में बैठे लोगों  का ध्यान आकृष्ट किया है। सिंहनाद कविता में हिन्दी भाषा के सम्मान की बात कह सच्चे हिन्दी सेवी का फर्ज निभाता है। माटी की मूरत भी रो दी कविता में   महिला उत्पीड़न यौन शोषण की बढ़ती घटनाओं पर रोष व्यक्त किया है। सामरिया कहते हैं ष् चीख रही दामिनी आसिफा मानव ने मानवता तज दी। आज चरित्रवान होने के साथ शीलवान बनाने की आवश्यकता है। तकनीकी के युग मे मर्यादा भूलना,रिश्तों में अपनत्व खोना ,बचपन का आनंद खो जाना जैसी पीड़ा को भी कवि ने कविता में कहा है। मिला न कोई ऐसा देश रचना में झांसी की रानी,भगतसिंह जैसों के उदाहरण देकर देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वालों का उदाहरण देकर देशभक्ति जगाने का सार्थक प्रयास किया है 
   हर इंसान में हूँ, सच की तस्वीर, प्रताप री गाथा-1,2,बाकी है,सीमा पर लड़ने से पहले, उस दिन आजादी आएगी,चन्द शब्द शहीद भगतसिंह के नाम,कुछ मोल चुकाना होगा,हिन्दुस्तान मेरी जान रह सके,चन्द शब्द वतन के नाम,जय हिन्दी हिंदुस्तान है,दृश्य विहंगम,निशां अपने छिड़ जाऊं, पथिक उसे कहते हैं हम,महिमा भारत देश महान की,माटी का निशान हूँ, माटी के गीत सुनाऊँगा, मुझको यह माटी भाटी है,मैं उस माटी का पुतला हूँ, राजनीति, शहीद, हमने देखा है,सो रहा इंसान क्यों,श्मशान जाती कविता,वीरों को नमन माँगता हूँ मैं,वीर पुरुषरूएक,दो, आदि इस कृति की महत्वपूर्ण कविताएं हैं।
   रक्त रंजित धरा में सामरिया लिखते हैं ष्वजूद मिट रहा इन्सानों का शैतान ही शिरकत करते हैं। जहाँ घोर निशाचर पहरा दे वहाँ इंसान भला क्यों बसते हैं।। बेटियों के साथ कुकृत्य करने वालों की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है। सौ बार नमन रचना में शहीदों के स्मारक पर नमन की बात कह उनके प्रति सच्ची श्रद्धा रखने की बात कही है। मनुज मनुज को सिखा रहा है कविता की मूल पंक्ति देखिएष्मानवता की हत्या करके खूब दिलेरी दिखा रहा है। खुद ही खुद का शत्रु बनना मनुज मनुज को सिखा रहा है। 
   भावों की पावन सरहद से रिश्तों पर विश्वास नहीं रहा। मासूम बेटियों के साथ पिता, दादा,मामा,चाचा मुँह काला कर रहे है ।ये घटनाएं कितनी शर्मनाक है जो आये दिन अखबारों में पढ़ने  को मिल रही है। मेरी लिखी कुछ पँक्तियाँ देखिएरू-
ष् मानसिक विकृति का रोग इस कदर बढ़ा है देश हैवानियत के कगार पर खड़ा है  नहीं रहा बेटियों को अब किसी पर भरोसा आदमी के भेष में शैतान खड़ा है।ष्
  जब नन्हा था, कर्म ही भाग्य बनाते हैं, भाव प्रधान रचनाएँ हैं। खून की होली कविता में बढ़ती आतंकवादी घटनाओं के बारे में लिखा है।देश दशा में देश मे व्याप्त अर्वाचीन घटनाओं को काव्य में बांधने का सुंदर प्रयास किया है। नकली बाबाओं की घटनाएं,बढ़ती आत्महत्या, जैसी समस्याएं उजागर की है। हे मीत मेरे,कवि का पैगाम सिपाही के नाम,नाहर की निशानी लिखता हूँ।वक्त की यही कहानी है,पुलवामा जे शहीदों की शहादत में,गूंजने दो घाटी-घाटी जय हिन्द के नारों को, आह्वान गीत,स्वच्छ भारत बने ये अपना,कहाँ तुम खो रहे, उस पथ पर पांव नहीं धरना जैसी रचनाएँ राष्ट्रभाव जगाने में सक्षम हैं।
  भारत माँ के चरणों मे इस कृति की अंतिम रचना है जिसमे कवि ने भारत की भौगोलिक सांस्कृतिक,आध्यात्मिक विशेषताओं का विशद वर्णन किया है।
कवि लिखता है ष्भारत माँ के चरणों मे तन मन धन अर्पण करता हूँ।इसकी उज्ज्वल थाती ओर सर्वस्व समर्पण करता हूँ।ष्
  प्रस्तुत कृति की भाषा सीधी सरल बोधगम्य है। ये कृति सभी राजकीय व निजी विद्यालयों के पुस्तकालयों में पहुँचे ऐसा प्रयास करना चाहिए।
   मैं मनोज सामरिया मनु जी को बधाई देता हूँ  आपकी ये कृति साहित्य जगत में नई पहचान बनाएं । सामरिया अपनी कृति में लिखते है कर्म ही भाग्य बनाते हैं। इसलिए सबको अच्छे कर्म कर आज देश के विकास में भगीदार बनने की जरूरत है।



समीक्षक, कवि, साहित्यकार, भवानीमंडी जिला-झालावाड (राजस्थान)


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