मेरा देश महान की चिंता भी कर ले वर्ना...(शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र के वर्ष 14, अंक संख्या 37, दिनांक 07अप्रैल 2018 में प्रकाशित लेख का पुनः प्रकाशन)


(सुनील वर्मा), शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


मैं आपको पहले ये बताना चाहूंगा कि उत्तराखंड में कार्यरत एक आईपीएस अधिकारी अशोक कुमार का मैंने एक लेख पढ़ा था कि भविष्य में युद्ध साईबर स्पेसश् के लिए ही लड़े जायेंगे और आज की ये घटना जिसका मै वर्णन करने जा रहा हूँ, उनके विचारों को काफी हद तक सही साबित कर रही है। इस लेख में मै उनको मेंशन भी कर रहा हूँ................। 
आपको याद होगा हाल ही में इसरो की तरफ से एक कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-6A लाॅन्च किया गया था और यह सैटेलाइट अपने तीसरे और अंतिम चरण के तहत 1 अप्रैल 2018 तक तो सही काम कर रहा था, लेकिन तभी इससे इसरो का संपर्क टूट गया। इससे संपर्क टूटने के बाद आज तीसरा दिन है, लेकिन अभी तक दोबारा संपर्क स्थापित नहीं हो सका है। रिटायर्ड कर्नल विनायक भट्ट ने कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-6A के गायब होने के पीछे एक आशंका जताई है, उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक तस्वीर को लोड़ करते हुए लिखा है कि-भारत का ही एक पड़ोसी देश का नगारी स्पेस ट्रैकिंग स्टेशन इसरो के कम्युनिकेशन में हस्तक्षेत कर रहा है। 
जी हां। ये नागरी स्पेस ट्रैकिंग स्टेशन चीन का ही है, जो लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी से महज 125 किलोमीटर की दूरी पर है। इस स्टेशन की मदद से चीन भारत के सैटेलाइन को ट्रैक ही नही कर सकता है, बल्कि संपर्क तोड़ भी सकता है और उसे तबाह भी कर सकता है। हैरान होने वाली बात नहीं होगी, अगर ऐसा हो तो, क्योकि एंटेना की फायरिंग डायरेक्शन देखिए, इतना ही कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-6A से संपर्क टूटने के लिए शायद काफी है। चीन के नगारी में स्थित सैटेलाइट ट्रैक करने वाला ये स्टेशन ईरान के डेलिजैन स्टेशन से काफी हद तक मिलता जुलता है, जिसको चीन ने ईरान से भारी वसूली करके अमेरिका की सेटलाईट को ट्रेक करने के लिए ईरान के लिए स्थापित करने मदद की थी।
इधर चीन का नागरी स्पेस स्टेशन तिब्बत के ऊपर मंडरा रहे हर भारतीय जासूसी सैटेलाइट का पता लगा सकता है, इसके चलते वह भारत पर सैटेलाइट का रास्ता बदलने का दबाव भी बना सकता है। सैटेलाइट की तस्वीरें देखकर यह साफ होता है कि अभी भी नगारी में बने सैटेलाइट ट्रैकिंग स्टेशन में काम चल रहा है और चीन वहां पर आने वाले समय में Hongqi-19 or HQ-19@SC-19 और Dongneng-2  जैसी एंटी सैटेलाइट मिसाइल तैनात भी कर सकता है। इसके बाद कहीं ऐसा न हो कि चीन के इस नागरी स्पेस पैराबोलिक लेजर वाले एंटेना स्टेशन की वजह से आने समय में भारत को अभी नहीं तो बाद में तिब्बत के ऊपर से गुजरने वाले सैटेलाइट का रास्ता भी बदलना पड़े। 
अब सबसे बड़ा सवाल है कि जब चीन ईरान का डैलिजैन और अपना नागरी स्पेस स्टेशन जैसे कारनामे बहुत पहले से कर रहा था, तब इस देश की पूर्व सरकार कौन सी नींद में थी, जो 2014 तक भी इसकी भनक नहीं लगा पाई और वर्तमान सरकार ने अगर 2014 के बाद इसका पता लगा लिया था तो अब तक क्या कर रही थी?


वरिष्ठ पत्रकार, खतौली


Post a Comment

Previous Post Next Post