पत्नी


(विक्रम कुमार), शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

हमेशा खुशियों की परिवार को सौगात देती है


कोई जो लड़खडा़ए तो वो अपना हाथ देती है

पत्नी नाम है उसका सहनशक्ति का है भंडार 

खुशी हो चाहे दुख हो वो सभी में साथ देती है

 

पति के नाम से ही देखती है वो सभी सपने

पराया मानती उनको जो उसके थे कभी अपने

पति के साथ चलने की कसम वो ठान लेती है

पराए घर को पल भर में वो अपना मान लेती है

 

नए परिवार पर वो स्नेह की बरसात देती है

खुशी हो चाहे दुख हो वो सभी में साथ देती है

 

वो आती है बनके दुल्हन सभी कसमें निभाने को

बहू,बहू,पत्नी और भाभी की सभी रस्में निभाने को

ससुर को सास को मां-बाप सा वो मान देती है

ननद देवर को अपने गोद में स्थान देती है

 

अपने प्रेम से वो नफरतों को मात देती है

खुशी हो चाहे दुख हो वो सभी में साथ देती है

खुशी हो चाहे दुख हो वो सभी में साथ देती है

 

मनोरा, वैशाली

 

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