(हवलेश कुमार पटेल), शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में विशेष सचिव के पद पर तैनात आईएएस अफसर सुरेन्द्र प्रसाद सिंह को बेहद अनुशासित और ऊर्जावान अफसर माना जाता है। उनके सौम्य व्यवहार और सकारात्मक दृष्टिकोण की झलक उस समय प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिली, जब आईएएस कैडर में प्रमोशन होने पर वाराणसी स्थित उनके गांव हरसोस में जश्न का माहौल था। सुरेन्द्र प्रसाद सिंह के प्रमोशन की खुशी में न केवल परिजनों ने बल्कि क्षेत्र के लोगों ने सांझा रूप से खुशी मनाई थी और एक दूसरे को मिठाईयां बांटकर व खिलाकर अपनी खुशी का इजहार भी किया था। इस अवसर पर दूर-दूर से लोगों ने उन्हें बधाई देकर एक रिकाॅर्ड कायम किया था।
वाराणसी स्थित आराजी लाइन ब्लाॅक के गांव हरसोस के मूल निवासी सुरेन्द्र प्रसाद सिंह 1997 बैच के पीसीएस अफसर हैं। बतौर पीसीएस अफसर उनकी पहली नियुक्ति सूबे के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मस्थली गोरखपुर में उप जिलाधिकारी के रूप में हुई थी। अपनी पहली नियुक्ति के दौरान ही लगभग 10 माह के कार्यकाल में सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने अपनी योग्यता का लोहा मनवा लिया था। इसके बाद वे लखीमपुर खीरी, चित्रकूट, बलिया, चंदौली, एटा व कानपुर देहात में बतौर उप जिलाधिकारी अपनी सेवाएं देने के बाद जुलाई 2011 में प्रमोशन पाकर मेरठ में सिटी मजिस्ट्रेट के पद तैनात हुए, लेकिन यहां जमने से पहले ही तुरन्त उनका तबादला अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व ओरैया के पद हो गया, इसके बाद वे एडीएम कानपुर नगर, अपर आयुक्त झांसी, उप निदेशक लघु सिंचाई लखनऊ, एडीएम कासगंज, सचिव विकास प्राधिकरण बरेली के पद पर तैनात रहे। युवा कल्याण विभाग में संयुक्त निदेशक पद पर रहते हुए उन्हें 31 मई 2019 को आईएएस में प्रमोशन मिला। इसके बाद कुछ समय तक पूर्व पद पर ही कार्य करने के बाद 2 सितम्बर 2019 को उत्तर प्रदेश सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में विशेष सचिव तैनात किये गये।
एमए, एलएलबी तक शिक्षा प्राप्त सुरेन्द्र प्रसाद सिंह अपनी ईमानदारी और विशिष्ठ कार्यशैली के चलते कई बार भ्रष्ट नेताओं और आला अफसरों की आंख की किरकिरी भी बन चुके हैं। नेताओं के मनमाफिक काम न करने और उनके गलत कामों में रोड़ा बनने पर वे प्रतीक्षारत रहने के साथ ही एक बार निलम्बित भी हो चुके हैं। 1965 को किसान परिवार में जन्में सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ईमानदारी से कड़ी मेहनत में विश्वास रखते हैं और इन्हें भाग्यवादिता व सिफारिश से चिढ़ है। उनका मानना है कि यदि निस्वार्थभाव व निष्ठा से कोई कार्य किया जायेगा तो सिफारिश की कोई जरूरत नहीं नहीं पड़ेगी। शायद यही कारण रहा होगा कि उन्होंने नेताओं के गलत कामों में साथ देने और सिफारिश करने करने का रास्ता इख्तियार करने स्थान पर निलम्बित या प्रतीक्षारत रहना ज्यादा उचित समझा। स्वभाव से मृदुल, लेकिन कार्य के प्रति लगनशील सुरेन्द्र प्रसाद सिंह की छवि प्रदेशीय सिविल सेवा के अधिकारियों में अच्छे मानवीय गुणों से ओतप्रोत अफसर की रही है। अब उन्होंने आईएएस में प्रमोशन पाने के बाद अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा में अपनी नई पारी की शुरूआत की है।
जानकारों की मानें तो सुरेन्द्र प्रसाद सिंह जहां भी जिस किसी भी पद पर नियुक्त होंगे, अपने व्यक्तित्व व कृतित्व की छाप अवश्य ही छोड़ जायेंगे। उनका कहना है कि वे अब तक प्रदेशीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रूप में जहां-जहां भी तैनात रहे हैं, वहां से उनका गहरा रिश्ता कायम हो गया है। ये उनकी मिलनसारिता का ही नतीजा है कि आईएएस में प्रमोशन के दौरान प्रदेश भर के लोगों ने उन्हें बधाई दी थी और इक्का-दुक्का अभी तक भी बधाई देने वालों का सिलसिला जारी है।