अब शुरु हो गयी है  तैयारियाँ 








(राजेश सारस्वत), शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

पहुँच गई है घर द्वार 

राशन और रोजमर्रा की सामग्री 

हाट घराट की चिंताएँ हो गयी है कम 

क्योंकि खेत खलीयान में नहीं दिखते 

मक्की के पौध गेहूँ के सीलड़ू

 

बागवान करने लग गये हैं चिंता 

पेड़ों की कांट छांट 

खाद गोबर और तोलीये की प्रक्रिया 

अब तैयार हो गयी है 

 

ठिठुरने से बचने के उपाय शुरू हो गए हैं 

बुजुर्गों के लोईए, बंदर टोपी, गलबंद 

ऊनी कोट कड़ाके की ठंड आने वाली है 

क्योंकि बादलों ने भेज दिया है संदेश 

अब दंतवादन के नए ताल संग 

निकलेंगे हैं नए सुर और वाष्प

जैसे रजवाड़ों की शाही महफिल में 

होता था हुक्के का धुँआ 

 

शुरु हो गयी है 

मोटे मोटे बकरों और खड्डूओं की तलाश 

कटने को तैयार है मुंडी 

टुकड़े टुकड़े बिने जाएँगे मालाओं में 

क्योंकि आते हैं दो चार मेहमान 

करवाए जाते हैं देवकाज 

क्योंकि यही समय उचित है 

हाड़ मास हज़म करने का 

 

औरतों भी अपने चूल्हे को 

जलाने की तैयारी कर चुकी हैं 

सेब,कैंथ और बेओल की लकड़ियों के साथ

बन गई है बान की लकड़ियां

शहरों में जलने लग गए हैं हीटर 

बदलते मौसम में जुखाम और 

खाँसी के लिए आरंभ हो गई है 

काली मिर्च और लोंग के साथ 

गुड़ का काढ़ा बनाने की हिदायतें

 

इंतजार है कि तुम कब आती हो 

तुम्हारे आने से खुल जाती है 

करोड़ों लोगों की आँखे 

चलने लगती है साँसे 

जग जाती है आस 

बुझती है प्यास 

जब गिरने लगते हैं सफ़ेद फाहें

शुरु हो जाते हैं सपने 

जीवन में आ जाती है बहार 

चाँदी हो जाती है धरती 

भर जाते हैं तालाब 

चिड़ियाँ झुंड में करती है मस्ती 

जब चाँदी हो जाती है धरती 










 




Post a Comment

Previous Post Next Post