नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कूष्माण्डा की पूजा


या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता, 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र चौथे दिन मां कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की ही उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन अदाहत चक्र में अवस्थित होता है। अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अतः ये ही सृष्टि की आदि स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं।
माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। माँ कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाए तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है।
माना जाता है कि ब्रहमांड की उत्पति इन्हीं देवी के द्वारा की गई है। सिंह की सवारी करने वाली मां जगदम्बा को कुम्हड़े की बलि प्रिय है और कुम्हड़े को संस्कृत में कुष्मांड के नाम से जाना जाता है। इसलिए इस देवी का नाम कुष्मांडा पड़ा। सूर्यलोक में रहने की शक्ति और क्षमता केवल इन्हीं में पाई जाती है। इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दिव्यमान होती है। इनके चेहरे के तेज से दशों दिशाएं आलौकित होती है। इन्हीं के बढ़ते तेज का प्रकाश आज पूरे ब्रहमांड में प्रज्वलित हो दीप्तिमान हो रहा है।
आदिशक्ति मां जगजननी देवी कुष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि-विधान के साथ विशेष मंत्रों का जाप कर, उनकी पूजा-आराधना करना चाहिए। ऐसा करने से भक्तों को रोग एवं दुखों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा उन्हें यश, बल, आरोग्य के साथ ही लंबी आयु प्राप्त होती है। यह देवी दुखों का नाश करती है। इनकी सच्चे मन से की जानें वाली पूजा से उपासक को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है। इनकी भक्ति भाव के साथ की गई सेवा से श्रृदालु की हर कामनाएं पूरी होने के साथ ही घर में सुख, शांति, समृद्धि और उन्नति प्राप्त होती है।
ऐसा माना जाता है कि नवरात्रों के समय में किए गए विशेष मंत्रों का जाप पूरे विधिविधान से किया जाए ,तो देवी को प्रसन्न कर कई सिद्धियां हासिल कि जा सकती है। इन दिनों आम लोगों की पूजा अर्चना का एक अहम हिस्सा ध्यान मंत्र, स्त्रोत मंत्र और उपासना मंत्र है। हर लोग देवी की पूजा बड़ी ही लगन, श्रर्द्धा भाव को साथ करते है। और इसी भक्ति से प्रसन्न होकर यह देवी सबका कल्याण करती है। भक्तों के रोगों और। यह देवी दुखों का नाश करती है। इनकी सच्चे मन से की जाने वाली पूजा से उपासक को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है। इनकी भक्ति भाव के साथ की गई सेवा से श्रृदालु की हर कामनाएं पूरी होने के साथ घर में सुख शांति, समृद्धि और उन्नति प्राप्त होती है।


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