हूँ मैं
प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। अपने डर से बहुत -बार लड़ा हूँ मैं । जीने की हर कोशिश में बहुत -बार मरा हूं मैं। सैकड़ों बार टूट -टूट के फिर उन टुकड़ों को जोड़ कर जुड़ा हूँ मैं अपने डर से बहुत -बार लड़ा हूँ मैं । अपनों ने ही खींचे थे पाव। सैकड़ो बार गिरकर लड़खड़ाते हुए फिर भी…