हूँ मैं
प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। अपने डर से बहुत -बार लड़ा हूँ मैं । जीने की हर कोशिश में बहुत -बार मरा हूं मैं। सैकड़ों बार टूट -टूट के फिर उन टुकड़ों को जोड़ कर जुड़ा हूँ मैं अपने डर से बहुत -बार लड़ा हूँ मैं । अपनों ने ही खींचे थे पाव। सैकड़ो  बार गिरकर लड़खड़ाते हुए फिर भी…
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मेरा जमाना
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   मुझे वो पगडंडियों अब दिखती नहीं जिन पर मैं चला करता था। मुझे वो आम के बाग  अब नहीं मिलते जिन्हें देख न्नहे फूल मचलते थे। मुझे वो नदियां अब नहीं मिलती जिनमें बाल- गोपाल नहाया करते थे। मुझे वो सुकून की नींद अब नहीं मिलती जो माँ की गोद में आया करती थी। …
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डॉ. राजीव डोगरा को मिला साहित्य नीलकमल सम्मान
शि.वा.ब्यूरो,  कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ।  भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा और मंदिर स्थापना दिवस के अवसर पर साहित्य गतिविधियों के लिए कांगड़ा हिमाचल प्रदेश के युवा कवि लेखक, वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर तथा हिंदी अध्यापक डॉ राजीव डोगरा को अंतर्राष्ट्रीय सखी साहित्य परिवार बिहार ईकाई ने "साहित्य नीलकम…
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व्यक्तित्व का डर
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। धूप में झरता हुआ आदमी  छाया में झूलस रहा है। हवा में बहता हुआ आदमी  तूफानों से डर रहा है। आग से पका हुआ आदमी  धूप में जल रहा है। अपनी बातों से  जख्मी करने वाला आदमी तलवार की नोक से डर रहा है। इश्क को हवस  समझने वाला आदमी। मोहब्बत के जख्मो से डर रहा है।…
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राम
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। राम-राम करते हो तुम रावण बनने के लायक भी नहीं। ज्ञान-ज्ञान करते हो तुम अज्ञानी बनने के लायक भी नहीं। ध्यान-ध्यान तुम करते हो तुम ज्ञान के लायक भी नहीं। स्वयं को न जाना न ही पहचाना कभी फिर भी महाज्ञानी बने फिरते हो। राम तो कण-कण में रमते है फिर भी तुम क…
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अंतरिक गुनाहगर
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। उन्होंने कहा हम बहुत अच्छे हैं हमने कहा होंगे अपनी नजर में। उन्होंने कहा हम दिलकश इश्क करते हैं हमने कहा करते होगे गैरों से। उन्होंने कहा हम सिकंदर हैं हर काम में हमने कहा होगे बस इस दुनिया के। उन्होंने कहा हम जानते हैं हर किसी को यहां हमने कहा जानते ह…
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जिंदगी और मौत
प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। जिंदगी  जीने की,  जितनी जद्दोंजहद करती है | मौत उतनी ही,  बेरहमी से जिंदगी को , अपनी  चोंच में धरती है | जिंदगी जीने की,  जितनी..............?  हम सोचते है....!  जिंदगी में,  हर तरफ से,  बटोरते चले जाते है | हम सोचते हैं......!  बस जिंदगी की…
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जश्न-ऐ-धमाका 2024 में डाँ.राजीव डोगरा को सम्मानित किया
शि.वा.ब्यूरो, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)।  अपना कांगड़ा के सौजन्य से आयोजित जश्न-ऐ-धमाका 2024 कार्यक्रम में युवा कवि डाँ.राजीव डोगरा को आमंत्रित किया गया तथा साथ ही उनके द्वारा साहित्य में किए जा रहे कार्यो को देखते हुए अपना कांगड़ा की टीम ने उनको सम्मान देकर सम्मानित किया। उनको यह सम्मान संस्था के अध…
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फर्क
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   जमीन और आसमान में फर्क होता है। फर्क होता है। मोहब्बत और नफरत में फर्क होता है। अपने और पराये में फर्क होता है। जीत और हार में फर्क होता है। दिमाग और दिल में फर्क होता है। जायज और नाजायज में फर्क होता है। हकीकत और कल्पना में फर्क होता है। गुरु और शिष…
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उदासियों भरा रहा 2023
अमिताभ शुक्ल,शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। युक्रेन रूस युद्ध, आग की तरह की महंगाई, स्वजनों से जुदाई और कुछ  का बिछड़ना, कोरो ना फिर आने की खबरों का बार-बार आना , राजनीति का सिर्फ आतंक मचाना । ऐसे बीत गया बहुत भारी वर्ष 23 , फुलझड़ियों की तरह आए बीच बीच में रेशमी पल , पर वो बस रहे पल, न बन सके आज और कल…
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नये साल के नये हिसाब
प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   आओ! नए साल पर कुछ हिसाब-किताब कर ले । जिंदगी ने लम्हा -लम्हा कितना घटाव दिया। उस सब का जोड़ कर ले । जो दर्द कई गुना बढ़ते ही गए। आओ! चंद उम्मीदों से उन्हें भाग कर ले । आओ! नए साल पर .............. जिंदगी बड़ी तेजी से निकल जाती है । जबकि लगत…
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नया वर्ष
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। नया वर्ष नया पैगाम लाया है। नफरत नहीं मोहब्बत का एहसास लाया है। नया वर्ष नया जुनून लाया है। हार नहीं जीत का ख्वाब लाया है। नया वर्ष नई बहार लाया है। खिलती नहीं जो कलियां उनको फूल बनाने आया है। नया वर्ष नया इतिहास लाया है। मिला नहीं जो आज तक उसकी आशीष ल…
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किसान
प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   किसान एक जीवन धरा हाथ की लकीरों से , लड़ जाता है। जब बंजर धरती पे, अपनी मेहनत से, हल से, लकीरें खींच जाता है। हाथ की लकीरों से, लड़ जाता है। कभी स्थितियों से, कभी परिस्थितियों से, दो- दो हाथ करता है। वो पालता है, पेट सबके। खुद आधा पेट भर के,…
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मुश्किल
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   मुश्किल से तुम आए हो मुश्किल से हम आए हैं मोहब्बत नहीं है दो तरफा फिर भी हम इश्क अपना आजमाएंगे। मुश्किल से रास्ता मिला है मुश्किल से सफर शुरू किया है हमसफर नहीं है कोई फिर भी हम जुनून अपना आजमाएंगे। मुश्किल से ख्वाब संजोय है मुश्किल से अधिकारों के लि…
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अस्तित्व
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   किसी के पास जब कुछ बचता नहीं बुलाए तब तो कोई मैं इतना सस्ता नहीं। माना की प्रेम चाहिए जीवन में मगर मांगना पड़े भिख की तरह वो भी जचता नहीं। माना की जीवन में कुछ चीजें हासिल नहीं हुई फिर भी देखकर औरों की तरक्की मैं कभी जलता नहीं। युवा कवि व लेखक गांव ज…
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शिवपुराण से....... (411) गतांक से आगे.......रूद्र संहिता, द्वितीय (सती) खण्ड
दक्ष की यज्ञ की रक्षा के लिए भगवान् विष्णु से प्रार्थना, भगवान् का शिवद्रोहजनित संकट को टालने में अपनी असमर्थता बताते हुए दक्ष को समझाना तथा सेना सहित वीरभद्र का आगमन   महेश्वर का अपमान करने से ही तुम्हारे ऊपर महान् भय उपस्थित हुआ है। हम सब लोग प्रभु होते हुए भी आज तुम्हारी दुर्नीति के कारण तो संकट…
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युगांडा के वैश्विक मंत्रालय और शिष्यत्व संस्थान ने राजीव डोगरा को दी डॉक्टरेट उपाधि
शि.वा.ब्यूरो,  कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ।  पूर्वी अफ्रीका स्थित युगांडा गणराज्य के वैश्विक मंत्रालय और शिष्यत्व संस्थान ने कांगड़ा के युवा कवि तथा हिंदी अध्यापक राजीव डोगरा को शिक्षा, शिक्षण,साहित्य,मानवाधिकार, मानवता के लिए बेहतरीन कार्य करने के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि देकर सम्मानित किया। उनको य…
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जीवांत जीवन
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। बढो़ गए जीवन में तो उड़ते रहो गए जीवांत पक्षी की तरह नहीं तो टूट कर बिखर जाओगी किसी शाख के मुझराये पते की तरह। जीवांत हो  तो जीना पड़ेगा सूर्य चांद की तरह नहीं तो पड़े रहो गए शमशान की जली बुझी  हुई राख की तरह। जीवांत हो  तो महकते रहो गए किसी सुगंधित फूलो…
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हिमाचल गान
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। उच्च हिमालय बहती नदियां कल कल करती झरनों की आवाजें फैली हरियाली ,सुगंधित सुमन महके समीर,बहकी कलियाँ ऐसी गोद हिमाचल की जय जय जय हिमाचल की। ऊंचे वृक्ष,नीची नदियां कर्कश करती चट्टानें चहकते पक्षी,महकती फसलें सरसराहट करता पानी गरजते बादल,बसरते घन ऐसी गोद ह…
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जिंदगी बड़ी
प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। जिंदगी! बड़ी बेरहमी से सच दिखती है। कितना भी बहलाते रहे खुद को । ऐसा नहीं है ? ऐसा हो नहीं सकता जबकि, ऐसा ही था? साथ सच के बीते लम्हों की हर बात को बड़ी खामोशी से बयां कर जाती है । जिंदगी बड़ी बेरहमी से सच दिखती है । जिंदगी सच को बड़ी बेरहमी …
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