अपने लिए कैसे तैयार करें औषधीय गुणों से भरपूर काफल के पौधे

भीष्मा कुकरेतीशिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
काफल के पेड़ बीज से उगाये जा सकते हैं, हां लेकिन कैसे? पेड़ पर पके हुए बीज एकत्र कीजिये – 2 दिन छाया में ढेर रख दीजिये, फिर इस बीज के ढेर को पानी की नीचे मसलते हुए धोकर बीज अलग निकाल दें, बीज के बाहर का गूदा सड़ चूका होगा तो बह जायेगा। अब भीतर के कठोर बीजों को 2 दिन छाया में पुराने अखबार या पुरानी धोती के ऊपर सूखा लीजिए। अब किसी भी खाली टब, ट्रे, बीज उगाने वाली ट्रे, गत्ते की पतियों में बेहद हलकी मिटटी – रेत , सड़ी पात्तियों की खाद का मिश्रण बनाकर उसके ऊपर लाइन से या छिड़क कर बीज बो दें।ऊपर से कम से कम आधा इंच मोटी बारीक बालू से बीजों को ढक दीजिये। 
ये बीज 3 हफ्ते में ज़मने लगेंगे। जब पौध पर 5-6 पत्तियां आ जाएँ या पौध तीन इंच के हो जाएँ, फिर उनको थैलियों में रोप दें। थैलियों में भी हल्की मिटटी रेत और पूरी तरह से सडी खाद का मिश्रण चाहिए। अब इन थैलियों को कम से कम एक माह तक छाया में ही रखिए। अगस्त के बाद धुप वाले स्थान पर थैलियों को शिफ्ट कर दीजिए। अब अगले साल बरसात तक आपके पौधे तैयार हो गए। ध्यान रहे मैदानों में भी बीज जम जायेंगे, लेकिन पौध ज़मने के कुछ ही दिन बाद मर जायेंगे, इसलिए इनकी नर्सरी 1000-1400 मीटर तक की उंचाई वाले ठन्डे स्थानों पर ही बनानी चाहिए।
काफल की खेती के लिए सामान्यतः ठन्डे स्थान 1400-2000 फीट तक की ऊंचाई वाले क्षेत्र ही सही पाए गए हैं ! पौधों को लगाने के लिए 2 फीट चौड़ा, 2 फीट गहरा और 2 फीट लम्बा गड्ढा बनाना चाहिए एक गड्ढे से दुसरे गड्ढे या पौधे की दूरी कम से कम 15 फीट होनी चाहिए। इस प्रकार से लगाये गए पेड़ों से 5 साल बाद फल प्राप्त किये जा सकते हैं। आगाज फैडरेशन द्वारा पिछले तीन वर्षों पीपलकोटी के बायो टूरिज्म पार्क पीपलकोटी में हर वर्ष 2000 काफल के पौधे तैयार किए जा रहे हैं और निःशुल्क ग्रामीणों को उपलब्ध करवा रहे हैं।

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