आईएमए ने लिया 60 टीबी मरीजों को गोद, पोषण पोटली वितरित कर स्वास्थ्य का संदेश दिया

रविता धांगे, मुजफ्फरनगर। जिले में क्षयरोग यानी टीबी के खिलाफ जनजागरूकता और पोषण सहयोग को लेकर एक सराहनीय पहल करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से पारस हॉस्पिटल में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अंतर्गत 60 टीबी मरीजों को गोद लिया गया और उन्हें पोषण पोटली वितरित की गई। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील तेवतिया और जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. लोकेश चंद गुप्ता मुख्य रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता आईएमए के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सुमित जैन ने की। 

डॉ. सुमित जैन ने कहा कि टीबी मरीजों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना और उन्हें पोषण, परामर्श व देखभाल देना हम सभी का दायित्व है। उन्होंने टीबी हॉस्पिटल के सभी कर्मियों और उपस्थित अधिकारियों का आभार प्रकट किया जिन्होंने अपने व्यस्त समय में से समय निकालकर मरीजों के बीच आकर उन्हें हौसला दिया।  उन्होंने कहा कि टीबी जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता बेहद ज़रूरी होती है। उन्होंने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए आईएमए द्वारा पोषण पोटली में दाल, चना, मूंगफली, गुड़, ड्राय फ्रूट्स, दलिया, ओआरएस, प्रोटीनयुक्त खाद्य सामग्री आदि वितरित की गई, जिससे मरीजों को ऊर्जा व पोषण प्राप्त हो सके।

डॉ. सुमित जैन ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम न केवल मरीजों के लिए सहारा बनते हैं, बल्कि समाज को यह संदेश भी देते हैं कि टीबी अब लाइलाज नहीं, बल्कि सही इलाज, पोषण और जागरूकता से पूरी तरह ठीक होने वाली बीमारी है। उन्होंने कहा कि आईएमए ने आगे भी इस तरह के कार्यक्रम जारी रखने का संकल्प लिया है, ताकि जिले से टीबी को जड़ से समाप्त किया जा सके।

कार्यक्रम में जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. लोकेश चंद गुप्ता ने बताया कि टीबी (Tuberculosis) एक संक्रामक रोग है, जो Mycobacterium tuberculosis नामक जीवाणु के कारण होता है। उन्होंने बताया कि यह मुख्यतः फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन शरीर के किसी भी अंग में फैल सकता है। उन्होंने बताया कि इसके सामान्य लक्षणों में लगातार दो हफ्ते से ज्यादा खांसी, खांसते समय खून आना, वजन घटना, भूख न लगना, बुखार और रात को पसीना आना शामिल हैं। उन्होंने बताया कि संक्रमण से बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना, मास्क लगाना, संतुलित आहार लेना और खुले में थूकने से परहेज़ जरूरी है। उन्होंने बताया कि टीबी की जांच बलगम की जांच, सीबी-नैट, एक्स-रे और स्किन टेस्ट से की जाती है। उन्होंने बताया कि इलाज पूरी तरह संभव है, बशर्ते रोगी नियमित रूप से DOTS केंद्र से मुफ्त दवाएं कम-से-कम छह महीने तक लेता रहे।
कार्यक्रम में पारस हॉस्पिटल से डॉ. बीके जैन, डॉ. सुमित जैन और डॉ. शिल्पी जैन सहित टीबी हॉस्पिटल से विपिन शर्मा, अतुल, रुचिर, अभिषेक और हेमंत की सक्रिय भागीदारी रही।

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