शिवाजी सोनी, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
परमाणु सिद्धांत के,
जनक महर्षि कणाद।
पर उनके योगदान को,
नही करता कोई याद।।
आधुनिक विज्ञान में ,
यह डाल्टन के नाम ।
इसका विखंडन हो गया,
रदरफोर्ड के नाम।।
सूक्ष्मतम कण पदार्थ का,
अवस्था नही स्वतंत्र ।
रासायनिक क्रिया भाग ले,
परमाणु यह मंत्र ।।
तीन कणों से यह बना,
इलेक् -प्रो -न्यूट्रान ।
भिन्न प्रकृति तीनों की,
करते इनका ज्ञान।।
इलेक्ट्रान ऋण आवेशित,
धनावेश प्रोटान ।।
ऋण धन से जो मुक्त है,
उदासीन न्यूट्रान ।।
इलेक्ट्रान प्रोटान की,
संख्या रहती समान ।
इनकी संख्या को सदा,
परमाणु क्रमांक मान ।।
न्यूट्रॉन प्रोटान सदा ,
नाभिक अंदर रहते।
इनकी संख्या योग को,
परमाणु भार हम कहते।।
नाभिक कक्षा परिक्रमण,
करते है इलेक्ट्रान ।
2n² इनकी संख्या का,
निर्धारित करते मान ।।
इनकी संख्या बल से यह
सक्रिय अक्रिय होते।
रासायनिक क्रियाओं को,
यही संपन्न है करते।।
सूक्ष्मतम कण पदार्थ का,
अवस्था रहे स्वतंत्र।
रासायनिक क्रिया भाग ले,
अणु का है यह मंत्र।।
दो या दो से अधिक अणु,
मिले नियत अनुपात।
नये नये यौगिक का,
करते है सूत्रपात।।
न्यूट्रॉन चेडविक ने,
थामसन इलेक्ट्रान।
प्रोटान रदरफोर्ड ने,
किया है अनुसंधान।।
अठारह सौ सत्तानवे,
इलेक्ट्रान पहचान।
उन्नीस सौ उन्नीस में,
प्रोटान को जान।।
सन उन्नीस बत्तीस में,
ज्ञात हुआ न्यूट्रान ।
परमाणु संरचना का,
संक्षेप में यह ज्ञान।।
अणु परमाणु ऊर्जा का
है अक्षय भंडार ।
इनके सदुपयोग से,
होता विकास अपार।।
सेवा निवृत्त शिक्षक शाजापुर मध्यप्रदेश