देखो मेरी शाला सुंदर

डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

बड़ौद बापचा है मनभावन।
दिखता सुंदर प्रभु सा पावन।।1
 हरे भरे सब पौधे दिखते ।
मंद पवन से खुशियां भरते।।2
सुंदर बगिया मन को भावे।
मैदान खेलने बालक जावे।।3
तरह-तरह के खेल खेलते।
छक्का मारे गेंद झेलते ।।4
जोशी जी कक्षा में आते।
छंद सवैया दोहा गाते।।5
विष्णुजी की बात निराली।
रोज भराते नक्शा खाली।।6
चश्मा पहने जो सर आते।
गणित सवाल हल कराते।।7
मैडम छोटी बहना जैसी।
बोले इंग्लिश कोयल जैसी।।8 
रंजीत सर की देखो शान।
यू ट्यूब में है विज्ञान।।9
पंडित संस्कृत पाठ पढ़ाते।
श्लोक मंत्रों को भी गाते।।10
हरीश रोज डाटा भरते।
कंप्यूटर में इंट्री करते।।11
सभी समय पर शाला जाते। 
नवाचार नित नये सिखाते।।12
चाय पिलाते भैया प्यारे।
करते काम बहुत सारे।।13
ऐसी मेरी शाला मंदर।
सबको मोहे लगती सुंदर।14
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश

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