गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रथम प्रकाश पर्व हर्षोल्लास से मनाया

शि.वा.ब्यूरो, देवबंद। गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सभा में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रथम प्रकाश पर्व श्रद्धा व उत्साह से मनाया गया। संगत को संबोधित करते हुए हजूरी रागी भाई गुरदयाल सिंह ने बताया कि 1603 में 5 वें गुरु अर्जन देव जी ने भाई गुरदास से गुरु ग्रंथ साहिब को लिखवाना शुरू करवाया, जो 1604 में संपन्न हुआ। नाम दिया ‘आदि ग्रंथ’। 1705 में गुरु गोबिंद सिंह ने दमदमा साहिब में गुरु तेग बहादुर के 116 शबद जोड़कर इन्हें पूर्ण किया। 1708 में दशम गुरु गोबिंद सिंह ने हजूर साहिब में फरमान जारी किया था, सब सिखन को हुकम है गुरु मान्यो ग्रंथ। आज ही के दिन दरबार साहिब में पहली बार गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया था। 1430 अंग (पन्ने) वाले गुरु ग्रंथ साहिब के पहले प्रकाश पर संगत ने कीर्तन दीवान सजाए और बाबा बुड्ढा जी ने बाणी पढ़ने की शुरुआत की। पहली पातशाही से छठी पातशाही तक अपना जीवन सिख धर्म की सेवा को समर्पित करने वाले बाबा बुड्ढा जी इस ग्रंथ के पहले ग्रंथी बने। 

इससे पूर्व बृहस्पति वार से चल रहे श्री अखंड पाठ साहिब के पाठ की समाप्ति के बाद  ज्ञानी अमरीक सिंह ने कीर्तन कर संगत को निहाल किया । कीर्तन उपरांत गुरु का अटूट लंगर बरताया गया । इस दौरान सेठ कुलदीप कुमार, सचिन छाबडा, चंद्रदीप सिंह, वीरेंद्र सिंह उप्पल,सुखजिंदर सिंह, लक्की कक्कड़, बलदीप सिंह, चन्नी बेदी, हरविंदर सिंह बेदी, चरण सिंह, गुरजोत सिंह सेठी आदि मौजूद रहे।
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