सुप्रीम कोर्ट ने दी खनन माफिया इकबाल और उसके भाई को पांच मुकदमों में राहत

शि.वा.ब्यूरो, सहारनपुर सुप्रीम कोर्ट ने खनन माफिया एक लाख के इनामी पूर्व बसपा एमएलसी इकबाल उर्फ बाल्ला और जेल में बंद उनके भाई पूर्व बसपा एमएलसी महमूद अलीबेटों और दामाद के खिलाफ सहारनपुर जिले के मिर्जापुर थाने और महिला थाने में दर्ज सात में से पांच मामलों में राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त करने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति जेबी पार्दीवाला की पीठ ने यह आदेश दिया है। उन्होंने अपने आदेश में कहा कि महमूद अली के खिलाफ मिर्जापुर थाने में 22 जुलाई 2018 को दर्ज गैंगस्टर मामले में फाइनल रिपोर्ट लग चुकी है, जिसे सहारनपुर के एडीजी ने 23 दिसंबर 2022 को स्वीकार भी कर लिया है, इसलिए इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को करने के लिए कुछ भी नहीं बचा है।

एसएसपी डा. विपिन ताडा ने कहा कि पुलिस सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का पालन करेगी। इस परिवार के खिलाफ 2018 में गैंगस्टर एक्ट के मामले में पुलिस अंतिम रिपोर्ट लगाकर मुकदमा बंद कर चुकी है। महिला थाने में दर्ज सामुहिक दुष्कर्म के मामले मं अदालत में सुनवाई चल रही है। महिला थाना प्रभारी ने इस मामले में कल ही कोर्ट में  गवाही दी थी। पुलिस के मुताबिक हाजी इकबाल के खिलाफ 40 से भी ज्यादा मुकदमें दर्ज हैं। सहारनपुर पुलिस और परिवर्तन निदेशालय (ईडी) को हाजी इकबाल की तलाश है। पुलिस उसकी 2000 करोड़ की संपत्ति को जब्त कर चुकी है। हाजी इकबाल, महमूद अली, हाजी इकबाल के बेटों जावेद, अफजाल, अलीशान और वाजीद आदि के खिलाफ पिछले तीन-चार सालों में मिर्जापुर थाने में कई मुकदमें दर्ज हुए हैं। इकबाल को छोड़कर सभी लोग विभिन्न मामलों में जेल में बंद हैं।

बता दें कि इकबाल आदि के खिलाफ मिर्जापुर थाने में 25 अगस्त 2022 को दुष्कर्म, 10 जनवरी 2023 को डकैती, जबरन वसूली, अपहरण और महिला थाने में 21 जून 2022 को दुष्कर्म की धाराओं में मुकदमें दर्ज  किए गए थे। महमूद अली के खिलाफ मिर्जापुर थाने में 22 जुलाई 2018 को गैंगस्टर और जून 2022 को धोखाधड़ी, उनके दामाद सालिब के खिलाफ 11 अगस्त 2022 को बलात्कार, इकबाल बेटे वाजिद आदि के खिलाफ 19 सितंबर 2022 को डकैती की धाराओं में मुकदमें दर्ज हुए थे। इन सभी मामलों में जिला न्यायालय और इलाहाबाद हाईकोर्ट से इन लोगों को कोई भी राहत नहीं मिल पाई। उसके बाद इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया। 

जानकारों ने बताया कि ज्यादातर एफआईआर उन लोगों द्वारा दर्ज कराई गई थी जो इन्हीं खनन माफियाओं के साथ रहकर अवैध खनन में लिप्त रहे हैं। बाद में इन पर शिकंजा कसता देख उन्होंने अपने को पाक-साफ दिखाने के लिए तरह-तरह के मुकदमें पुलिस से मिलकर दर्ज कराए हैं। पहली नजर में ही सभी मुकदमें और एफआईआर कानूनी दृष्टि से बेहद कमजोर और त्रुटियों भरी थी। जाहिर है सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से न्याय और कानून का सम्मान बढ़ाने का काम किया है।

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