मीराबाई चालीसा
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
मोहन तेरे कारणे, छोड़ा घर परिवार।
लोक लाज को त्याग के, पाया जीवन सार।।
जय-जय मीरा कृष्ण दिवानी।
तेरी महिमा जगत बखानी।।1
पिता मेड़ता ससुर मिवाड़ी।
दोनों घर नामी  रजवाड़ी।।2
सन चौदह अंठाणू आया।
कुड़की ग्रामा समय सुहाया।।3
राजा रत्ना बेटी पाई।
सकलराज में मिली बधाई।।4
पोती दूदा राव  कहाई।
मीरा नाम सकल जग छाई।।5
सीधी साधी भोली भाली।
सुंदर सांची प्रतिभाशाली।।6
बालपने में शिक्षा पाई।
वेद पुराण सीख सिलाई।।7
तीरंदाजी  घोड़सवारी।
सीखाभाला अरु कटारी।।8
तीन बरस में माता खोई।
दादाजी ने पाली पोई ।।9
रजपुती का साहस आया।
नेमी धर्मी करुणा काया।।10
मोहन मूरति मन में भाई।
छोट पने से संग लिवाई।।11
गाती खेले संग सहेली ।
जीवन उसका बना पहेली।।12
धीरे-धीरे बनि तरुणाई ।
भोजराज के संग सगाई।।13
दोनों कुल में खुशियां छाई। 
बंटी मिठाई बज शहनाई।।14
सन पंद्रह सौ सोलह आया।
धूमधाम से ब्याह रचाया।15
नगर मेड़ता खूब सजाया।।
दुल्हन जैसा साज कराया।।16
सखियां सारी मंगल गाये।
ढोल नगाड़े खूब बजाये।।17
राणा सांगा लाय बराता।
हाथी घोड़े रथ पे छाता।।18
जब मीरा की विदा कराई।
सबकी आंखन भरी तलाई।19
मेवाड़ महल में खुशियां छाई
भोजराज संग मीरा आई।20
जीवन थोड़े दिन सुखदाई।
फिर महलों में विपदा आई।।21
सन छब्बिस की बात दुखाई।
भोज युद्ध में जान गंवाई।।22
शोक विरह में समय बिताया।
ईश भजन में ध्यान लगाया।।23
तुरत मौत की हुइ अगवाई।
पिता ससुर भी गये सिधाई।।24
फिर  रैदासा गुरू बनाया।
आध्यात्म ज्ञान उनसे पाया।।25
जोगन बन के भगवा धारा।
रात दिना बस कृष्ण पुकारा।।26
संतन के संग भजन गवाती।
नाच नाच के पिया रिझाती।।27
मनमोहन को भोग लगाते ।
रात दिना उनके गुण गाती।।28
राणा ने भी ज्यादा भेजा।
पीकर मीरा हो गइ तेजा।।29
सांप इटहरी भी भेज भाई।
नौलखा हार कृष्न बनाई।।30
सास ननद ने बहुत सताई।
फिर भी मीरा नहि घबराई।।31
सदा अकेली रहत उदासी।
मोहन के दर्शन की प्यासी।।32
पियामिलन की रटन लगाती।
रोती आंखें नींद न आती।।33
वृन्दावन में मीरा आई।
कृष्ण वार्ता जीव गुसाई।।34
फिर गुजराता कीन पयाना।
संतों के संग भजन गवाना।।35
अंत समय जब चला समीरा।
बाई द्वारिका  कृष्ण शरीरा।36
सन पंद्रह सैतालिस आनी।
बाई मीरा कृष्ण समानी।।37
ऐसी लीला जग ने देखी।
हिन्दी में इतिहासा लेखी।।38
गढ़ चित्तोड़ा मंदिर भारी।
दर्शन करते भगत हजारी।।39
हे जग देवी मीरा बाई।
मसान कवि ने करी बडाई।।40
नरसी जी का मायरा, राग गीत गोविंद।
सोरठ के पद भी लिखे, जाने नाही छंद।।
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश
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