योग चालीसा
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
अथ योगा अनुशासनम्, पहला मंतर जान।
अष्ट अंग का सूत्र है, पातंजली विधान।।
पतंजली योगी विज्ञानी।
योगा दर्शन रची कहानी।१
महाभाष्य भी आप बनाये।
भाषा की नीति समझाये।।२
योगी धीरू ब्रह्माचारी ।
रविशंकर भी योग विचारी।३
रामदेव भी योग अचारा।
बाबा को जाने संसारा।।४
आयुर्वेदा बाल बताये।
जड़ियां बूटी औषधि लाये।।५
राम बाल की जोड़ी प्यारी।
सारा जीवन स्वास्थ प्रचारी।।७
योगा का तुमअलख जगाया।
रोगों को भी दूर भगाया।८
योगा को तुम सरल बनाया।
घर-घर में उसको पहुंचाया।९
देश देश में नाम कमाया।।
भारत का झंडा फहराया।।१०
योगा चित्ता वृत्ति निरोधा।
हरा करें जीवन का पौधा।।११
योगा आठ अंग है भाई।
बल विद्या अरु ईश्वर पाई।।१२
यमनियमा प्राणायम आसन।
जीवन बने सदा अनुशासन।१३
प्रतिहर धारण ध्यान समाधी।
काटे रोग हरे सब व्याधी।।१४
प्रात;सायम् ध्यान लगाते।।
संत समाधी तुरत जमाते।।१५
रेचक कुंभक पूरक जानो।
छोड़ो भरना रोको मानो।।१६
लोम विलोमा भ्रामरि आशा।
प्राणायम जीवन विश्वासा।।१७
उष्णा शीता सम व्यवहारी।
इंगला पिंगला सुषमा नारी।।१८
सातों चक्र इन्ही में परते।
संतो जाग्रत कुंडलि करते।।१९
आज्ञा चक्र त्रिनेत्र हमारा।
जासे दीखे सब संसारा।।२०
सूर्य नमस्ते करें हमेशा।
ताके मन नहि रहे क्लेशा।।२१
बारह मंतर बारह आसन।
बारह जनवरि शाला शासन।।२२
बामा करवट रातन सोंवे।
भोजन पाचन तुरतहि होवे२३
फल फूलों का करें अहारा।
पीवे दुग्धा उच्च विचारा।।२४
कमर दरद आगे मत झुकिये।
परहित काज कभी ना झुकिये.२५
भोजन बादा एकहि आसन।
जो कहलाता है बज्रासन।।२६
लख चौरासी योगा भेदा।
बिन योगी का जीवन खेदा।।२७
आसन के है चार प्रकारा।
बैठे पेट पीठ अरु ठाड़ा।।२८
शिरसा सर्वा उल्टा सोई।
गरुड़ा वृक्षा ठाड़े होई।।२९
मंडुक धनु नौका आसन।
सर्पागोमुख कटिचक्रासन।।३०
पद्मा सिद्धा मुर्गा आसन।
कागा हंसा बक मयुरासन।।३१
पद्मा सिद्धा ध्यान लगाओ।
ठीक समय मुदरा अपनाओ।३२
षट किरिया है अंग सफाई।
 वेदी ऋषिमुनि करते आई।।३३
नेती धोती वस्ती करते।
शंख प्रक्ष अरु त्राटक भरते।।३४
कुंजल धोती पेट सफाई।
नेति क्रिया भी लाभ दिलाई।।३५
नेती  के  है  चार  प्रकारा ।
सूत दूध घृत जलहि अपारा।।३६ 
पढ़ सुन योग करें नहि भाई।
बिन गुरु योगा है दुखदाई।।३७
ओम ध्वनी से करते ध्याना।
ब्रह्मा विष्णु शिव भगवाना।।३८
हल्का भोजन जल्दी सोना।
प्रातः पानी छोड़ बिछोना।।३९
खुली हवा उपवन सुखदाई।
नित उठ योग करो रे भाई।।४०
प्रात:पानी पीजिए, शौच सफाई ध्यान।
योगासन से पाइये, विद्या बल सम्मान।।
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश
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