मौन

डॉ. अवधेश कुमार "अवध", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। 

मौन की छाती में 
छिपा हुआ ज्वालामुखी
बाहर से नहीं दिखता
पर होता है
सीने में असीम आग को समेटे
स्वयं की आग से
स्वयं को जलाता है
पर धीरे धीरे ......
मौन नहीं होता 
सदा स्वीकार का लक्षण
बल्कि अक्सर होता है यह अस्वीकार ....
वह समय भी आता है
जब मौन मुखर होता है
अट्टहास ही तो करता है
शिव के तांडव सरिस
महाविनाश लीला
सीने की आग 
बिखरकर जला देती है मौन को
मौन सशब्द हो जाता जब
मिट जाता है मौन होने का अभिशाप 
हाय! मौन इतना भयंकर !!
साहित्यकार व अभियंता मैक्स सीमेंट, ईस्ट जयन्तिया हिल्स मेघालय

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