होली चालीसा- भाग 1
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
आया मौसम प्रेम का,फागुन मास बहार।
हंसी खुशी सब जीव है,कलियां कहें पुकार।।
फरफर करके फागुन लाया।
शिवरात्रि  त्योहार मनाया।।1
फिर बच्चों का लगा अखाड़ा।
सबने मिलकर डांडा गाड़ा।।2
हिमाचल बरफ जमी है भाई।
कहीं कहीं ओलें दिखलाई।।3
सूरज ने तेवर बतलाया।
पारे को ऊपर पहुंचाया।।4
ठंडा मौसम लिया विदाई।
गेंहू की  बाली लहराई।।5
चना रायड़ा मंडी आया।।
किरसानों के मन को भाया।।6
धनिया भी खुशबू फैलाती।
आमों की अमियां मुसकाती।।7
बोर्ड परीक्षा भी अब भाई।
सारे बालक करें पढ़ाई।।8
गांव गांव में खुशियां छाई।
प्रेम रंग की थाप लगाई।।9
बहुत मस्त वनवासी भाई।
हाटों में सब लगे दिखाई।।10
भगोरिया की खुशियां छाई।
जिला झाबुआ बजी बधाई।।11
बच्चे आये बूढ़े आये।
हिय हुलसे रंग मन बतराये।12
कंडा लकड़ी ढेर सजाया।
फिर होली पूजन करवाया।।13
बहिन होलिका सुंदर नारी।
अग्नी पर वह पड़ती भारी।।14
भक्त प्रह्लाद गोद बिठाया।
छल कपटी ने भेद न पाया।।15
जली होलिका बचा भतीजा।
ऐसी थी नारायण लीला।।16
सखियों की मिल टोली आई।
राधा रानी करि अगुवाई।।17
छुप के बैठे कृष्ण कंहाई।
लाठी ले ले नचे लुगाईं।।18
हुरियारों की पीठ सुजाई।
बरसाने भगदड़ मच जाई।19
रंगों से तो कीच मचाई।
बृषभानु घर खुशियां छाई।।20
गारी गुलचा लगें सुखाई।
कवि रसखान सवैया गाई।।21
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश
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