दामिनी (गजल)

मदन सुमित्रा सिंघल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। 
मैंने दिल दे दिया है तुझे दामिनी, 
मुझसे ना ना करने की जुरूत ना कर
मर जाउंगा तेरी चैखट पर, 
बचालो जिंदगानी खुदा से तु डर
क्यों फिदा है ऐसे बुड्ढे पर, 
जिसकी दाढी भी लालिमा से भर गई
देखो मेरी मर्दानी, कसरती बदन, 
मरना है तो जानेमन मुझ पर तु मर
मत तङफाओ ना, आओ आगोश में, 
चलो जंगल में कुच कर जायेंगे हम
छोड़ दुंगा जगत मैं तुम्हारे लिए, 
यह बीबी बच्चे, बसा बसाया घर
उम्र कम ना मेरी, कम तुम भी नहीं, 
चलो तुम्हे कवियित्री बना दुंगा मैं
सिंघल से आशा रखो पुरी, 
आओ झोली तुम्हारी दुंगा मैं भर। 
पत्रकार एवं साहित्यकार शिलचर, असम

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