डॉ. अ कीर्तिवर्धन, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
सडकों पर फूहड प्रदर्शन को, प्रेम नही कहते हैं,
बहन बेटीयों पर व्यंग, अभिव्यक्ति नही कहते हैं।
अधेड छेडते बच्चों को, बच्चे छेडें चाची- मामी,
छेडाछाडी गुण्डागर्डी को, संस्कार नही कहते हैं।
देकर अच्छा सा भाषण, हो गुण्डों से हमदर्दी,
बलात्कार पर चुप्पी को, मर्यादा नही कहते हैं।
अत्याचार चरम पर हो, बहन बेटियाँ रोती घर घर,
कानून के पालन को, अत्याचार नही कहते हैं।
माना पिस जाता घुन भी, कभी कभी गेहूँ संग में,
गेहूँ आटे को लेकिन, घुन का आटा नही कहते हैं।
फूहडपन और नग्नता को जो अधिकार समझते,
सडक छाप दुष्टों को, कोई वीर नही कहते हैं।
बहन बेटीयों पर व्यंग, अभिव्यक्ति नही कहते हैं।
अधेड छेडते बच्चों को, बच्चे छेडें चाची- मामी,
छेडाछाडी गुण्डागर्डी को, संस्कार नही कहते हैं।
देकर अच्छा सा भाषण, हो गुण्डों से हमदर्दी,
बलात्कार पर चुप्पी को, मर्यादा नही कहते हैं।
अत्याचार चरम पर हो, बहन बेटियाँ रोती घर घर,
कानून के पालन को, अत्याचार नही कहते हैं।
माना पिस जाता घुन भी, कभी कभी गेहूँ संग में,
गेहूँ आटे को लेकिन, घुन का आटा नही कहते हैं।
फूहडपन और नग्नता को जो अधिकार समझते,
सडक छाप दुष्टों को, कोई वीर नही कहते हैं।
मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश