शेष है

राजीव डोगरा 'विमल', शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

मृत्यु का पता नहीं
मगर श्रेष्ठ  जीवन
अभी शेष है।
नफ़रत का पता नहीं
मगर मोहब्बत की अभिलाषा
अभी शेष है।
आत्मसमर्पण का पता नहीं
मगर आत्मबलिदान का बोध
अभी शेष है।
मन में पनपते क्रोध का पता नहीं
मगर ह्रदय के आँचल में शांति
अभी शेष है।
आत्मग्लानि का पता नहीं
मगर आत्म साक्षातकार का बोध
अभी शेष है।
जीवन में लगी ठोकरओं का पता नहीं
मगर खड़े होकर मार्ग पर चलना
अभी शेष है।

भाषा अध्यापक राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गाहलिया (कांगड़ा) हिमाचल प्रदेश

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