विभागीय उपेक्षा के चलते पात्र होने के बावजूद पीएम आवास के लिए नहीं हो रही है सुनवाई, सैकड़ों तिरपाल और टीन के नीचे रात गुजारने को विवश

गौरव सिंघल, सहारनपुर। जिले में ऐसे सैकड़ों निर्धन और आवासहीन लोग हैं जो प्रधानमंत्री आवास योजना में लाभान्वित होने से वंचित रह गए हैं और पांच डिग्री सेल्सियस तापमान में तिरपाल और टीन की छत के नीचे रात गुजारने को मजबूर हो रहे हैं। उनमें से कुछ ने आज बताया कि विभागीय धांधलेबाजी के चलते पात्र होने के बावजूद उनका नाम आवंटित सूची में शामिल नहीं है। 

नगरीय आवास योजना की परियोजना धिकारी रजनी पुंडीर ने कहा कि अभी शासन ने उनके द्वारा भेजे गए 14010 आवेदन को रोका हुआ है और वह तत्काल इन लोगों के मामलों को स्वयं देखेंगी और जांचोपरांत पात्रता पाए जाने पर सूची में शामिल कर शासन को भेजेंगी। रजनी पुंडीर ने बताया कि प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में लाभार्थी को तीन किश्तों में ढाई लाख रूपए मिलते हैं। जब से यह योजना शुरू हुई हैं तब से सहारनपुर जनपद में कुल 25044 लाभार्थियों को आवास के लिए स्वीकृत किया गया है। जिनमें से सभी को 50 हजार की पहली किश्त का भुगतान हो चुका है और 24543 को तीनों किश्तें मिल चुकी हैं। उन्होंने बताया कि कई बार स्वीकृत धनराशि की किश्त मिलने में विलंब हो जाता है और करीब एक-डेढ़ साल से तो किसी भी नए लाभार्थी का नाम पात्रता सूची में नहीं आ पाया है।

सहारनपुर नगर और जिले के अन्य कस्बों में पांच डिग्री तापमान में बिना आवास के सैकड़ों लोग सर्दी की ठिठुरन भरी रात प्लास्टिक की पन्नी,तिरपाल और टीन की छत के नीचे गुजारने को विवश हैं। सहारनपुर नगर के हकीमपुरा में 68 वर्षीय विधवा महिला सुनहरी के पास टीन की छत डला मकान हैं उसमें दरवाजा भी नहीं है। उसने और उसके बेटे ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए वे कई बार आवेदन कर चुके हैं। उन्होंने थक-हारकर इस योजना का लाभ मिलने की उम्मीद ही छोड़ दी है। इसी क्षेत्र में रामजीलाल के पास भी टीन की छत का मकान है। दरवाजे पर किवाड़ों के बजाए पर्दा लटका हुआ है। उसी में तिरपाल की छत डालकर दो चारपाइयों पर रामजीलाल और उनकी पत्नी कैसे रात गुजार रहे हैं ये तो वहीं जानते हैं। तीन बार आवास के लिए आवेदन कर चुके हैं लेकिन उन्हें पात्र सूची में क्यों नहीं शामिल किया गया, उन्हें नहीं मालूम।

नगर के बेहट रोड़ स्थित वार्ड-आठ के निवासी नरेंद्र के पास जर्जर कमरा है, जिसमें पूरा परिवार नहीं आ पाता है। मकान के करीब तिरपाल डालकर उनका परिवार उसके नीचे गुजार रहा है। तिरपाल के नीचे ही चूल्हा और बर्तन रखे हुए हैं। नरेंद्र की पत्नी मौसम ने बताया कि वे कई बार आवेदन कर चुके हैं लेकिन मकान नहीं मिला। इसी वार्ड में बिजेंद्र अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बल्लियों पर तिरपाल डालकर रह रहे हैं। वे भी कई बार प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन कर चुके हैं, लेकिन वह विभागीय अधिकारियों को संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं जिस कारण उन्हें पात्र होने से वंचित रहना पड़ रहा है। ना जाने उन और उनके जैसे अनेकों लोगों का पक्का मकान में रहने का सपना कब पूरा होगा।

हकीमपुरा में पूजा के पास 30-40 साल पुराना जर्जर मकान है। पूजा और उसके छोटे बच्चे तिरपाल के नीचे सोते हैं। वार्ड नंबर-8 में अमन कुमार टीन डालकर एक छोटे से मकान में रह रहे हैं। दीवारें बिना प्लास्तर की हैं। अमन कुमार ने बताया कि वह चार बार आवेदन कर चुके हैं। विभागीय अधिकारियों ने उनकी जांच की और उन्हें अपात्र घोषित कर दिया। उन्होंने मकान की उम्मीद छोड़कर हालात से समझौता कर लिया है। ऐसे लोगों का कहना है कि शासन-प्रशासन उनकी हालत को नहीं देख रहा है और न ही उन पर तरस खा रहा है। अधिकारी और कर्मचारी दफ्तरों से बाहर निकलकर जमीनी हकीकत नहीं देखना चाहते। परियोजना अधिकारी रजनी पुंडीर ने बताया कि शासन में 14010 आवेदन होल्ड पर हैं। एक-डेढ़ साल हो गया है कोई स्वीकृति नहीं मिली है। पूरे जिले में 1518 आवेदन स्वीकृत हुए हैं जिनमें से 116 आवेदन नई बनी नगर पंचायत छुटमलपुर के हैं। 


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