गतांक से आगे.....
हल प्रवाह काले तु कूर्म उत्पटच्यते यदि।
गृहिणीम्नियते तस्य तथा चाग्निभयं भवेत।।
भाषान्तर-हल चलाते समय यदि हालिक से कूर्म उखड़ जाता है तो उसकी गेहिनी मर जाती है तथा अग्नि से भय होता है। स्पष्ट है कि इसें कूर्म का अर्थ जल-जन्तु कच्छप नहीं है। एवंम
पृथ्वि त्वयेतिमन्त्रस्य मेरूपृष्ठ ट्टषिः सुतलं छन्दः कूर्मो देवता आसनोपवेशने विनियोगः।
में कूर्म का अर्थ कच्छप नहीं है, किन्तु देवता अर्थ में पृथिवी ही का नाम कूर्म है।
संस्कृत साहित्य बतलाता है कि पृथिवी का आधार कूर्म है। इसमें लोग कूर्म का अर्थ बहुधा कच्छप करते और हास्यास्पद बताते हैं। मिस्टर जान सी0 नेस्फील्ड रचित हाइअर इंग्लिश ग्रामर में इस आशय का फुटनोट छपा है कि हिन्दुओं का विश्वास है कि पृथिवी को कच्छप (टार्टिस) ने थाम रखा है। जब उनसे पूछा जाता है कि कच्छप को किसने थाम रखा है, तब चुप हो जाते हैं। यदि कहा जाये कि कूर्म का अर्थ प्रजापति या सूर्य है, जिसने पृथिवी को थाम रखा है तो आक्षेप के लिए कुछ भी अवकाश नहीं रह जाता है।
(क्रमशः)