सहारनपुर में दिखी मोदी-योगी की रणनीतिक सूझबूझ, ध्रुर्वीकरण की राजनीति से परहेज

गौरव सिंघल, सहारनपुर। सहारनपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक चुनावी सभा इस मायने में अनूठी रही कि उनके भाषण प्रभावशाली और सम्मोहन पैदा करने वाले अवश्य थे लेकिन दोनों ने 39 फीसद मुस्लिम बहुल सहारनपुर सीट पर धाकड़ मुस्लिम कांग्रेस उम्मीदवार होने का खासतौर से ध्यान रखा कि उनके भाषणों से ध्रुर्वीकरण न हो जाए। आमतौर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ध्रुर्वीकरण की राजनीति में माहिर माना जाता हैं। दोनों ने भूल से भी इमरान मसूद का नाम नहीं लिया और ना ही ऐसी कोई बात कही जिससे मतदाताओं का हिंदुओं और मुस्लिमों में ध्रुर्वीकरण हो जाए। इसकी मुख्य वजह इस सीट पर बसपा के मुस्लिम उम्मीदवार माजिद अली की उपस्थिति भी है। 

भाजपा के चुनावी रणनीतिकार नहीं चाहेंगे कि सहारनपुर लोकसभा सीट पर चुनाव में ध्रुर्वीकरण हो जाए। सहारनपुर सीट पर जहां 39 फीसद मुस्लिम और 22-23 फीसद अनुसूचित जाति के मतदाता हैं ऐसे में भाजपा जीत के लिए 40 फीसद मतदाताओं पर ही ज्यादा आश्रित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में सहारनपुर के वुड कार्विंग उद्योग और कारोबार को महत्व दिया और यहां के इन उत्पादों के लिए बड़े स्तर पर बाजार और ग्राहक मुहैया कराने की बात कही। सहारनपुर सीट पर भाजपा के उम्मीदवार पिछला चुनाव हारे राघव लखनपाल शर्मा हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में राघव लखनपाल के सामने दो मुस्लिम उम्मीदवार बसपा के फजर्लुरहमान कुरैशी और कांग्रेस के इमरान मसूद थे। दोनों के बीच मुस्लिम वोट बंटने के बावजूद अप्रत्याशित रूप से राघव लखनपाल शर्मा की हार हो गई थी।

इसी तरह सहारनपुर और शामली जिले को मिलाकर बनी कैराना लोकसभा सीट पर कांग्रेस-सपा गठबंधन की इकलौती उम्मीदवार इकरा हसन है। कैराना लोकसभा सीट पर 17 लाख 21 हजार के करीब मतदाता हैं। जिनमें 30 फीसद मतदाता मुस्लिम हैं। यहां भाजपा के सांसद प्रदीप चौधरी उम्मीदवार हैं। बसपा ने इलाके में राजपूतों की नाराजगी को भुनाने के लिए राजपूत बिरादरी के श्रीपाल सिंह राणा को उम्मीदवार बनाया हुआ है। अनेकानेक कारणों से सहारनपुर मंडल का राजपूत वर्ग भाजपा से नाराज दिख रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भाषण खासतौर से विकास कार्यों, 10 साल की केंद्र की उपलब्धियों और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बेहतर कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों पर ही केंद्रित रहा। ध्यान रहे 2019 के चुनावों और 2014 के लोकसभा चुनावों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इमरान मसूद के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिए गए विवादास्पद बयानों के कारण मतदाताओं में ध्रुर्वीकरण हो गया था। 2014 में इसका फायदा भाजपा को मिला था लेकिन 2019 के चुनावों में स्थिति उलट गई थी। आज की सफल रैली में भाजपा की बदली चुनावी रणनीति स्पष्ट संकेत दिए।

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