मदन सुमित्रा सिंघल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों के साथ जागरूक 140 करोड़ भारतीयों को भी तैयार रहना होगा। क्योंकि अब चुनावी माहौल शुरू हो गया है जो मई माह के आखिरी सप्ताह में केंद्र में नयी सरकार शपथ ग्रहण करेगी। एबीपी न्यूज़ सहित एक्जिट पोल में तो तीसरी बार फिर मोदी सरकार दिखा रहे हैं वहीं स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार बार कहा है कि हमारे तीसरे कार्यकाल में ऐसा किया जायेगा इसका सपष्ट संदेश है कि भाजपा नीत एनडीए सरकार ओर अधिक आन बान शान के साथ ताजपोशी होगी फिर भी कंटिले रास्ते पर दिनरात एक करके अपनी ताकत को ओर अधिक बढाना होगा।
एनडीए गठबंधन एवं इंडिया गठबंधन के बाद अब तक चुप्पी साधे बैठी भारत की सर्वाधिक लोकप्रिय दलित नेता मायावती बहूजन समाज पार्टी की प्रमुख है जो अभी तक दोनों गठबंधनों से दूर इसलिए है कि विपरीत धाराओं की पार्टी से सीटों का बंटवारा होना मुश्किल है।
राजनीतिक गलियारों में तीसरे मोर्चा की सुगबुगाहट ज्यादा इसलिए नही है कि इंडिया गठबंधन का असली चेहरा एवं सपष्ट नीति अभी तक सामने नहीं आयी है क्योंकि प्रधानमंत्री के उम्मीदवार अधिक होने के कारण उनके कद एवं स्वयंभावी पद को कमतर करने की पहल ममता बनर्जी ने करके एक राजनीतिक मुद्दा बना दिया है इससे मैं नहीं तो तू भी नहीं इस कुटनीति का प्रयोग किया जा रहा है।
मायावती के साथ उङिसा की बिजू जनता दल पंजाब की अकाली दल दक्षिण भारत की जगन्मोहन की पार्टी असम की मौलाना अजमल की एआईयुडीएफ उतरप्रदेश की अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोक दल सहित कई राजनीतिक दल अभी भी अछुते है जो आसानी से इस तीसरे मोर्चा में शामिल होकर राजनीतिक लाभ के लिए ना सही लेकिन राष्ट्रीय शुर्खियों में आने के लिए तैयार हो जायेंगे। राजनीति में नूरा कुश्ती का भी काफी प्रभाव मतदाताओं पर पङता है इसलिए पसंदीदा पार्टी अथवा उम्मीदवार ना मिलने पर नोटा पर बटन दबा देते हैं। राजनीति फिल्म एवं प्यार में सबकुछ जायज माना जाता है ऐसे में अवसरवादी दल भी तो मौके की तलाश में रहते हैं कि कहीं तो जुगाड़ बैठ जाए।
पत्रकार एवं साहित्यकार शिलचर, असम