खुदा की रचना (गजल)

मदन सुमित्रा सिंघल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। 
तुम झुम झुम ना चला करो, 
मेरा दिल पसिजे जाता है
तेरे नैन बङे है कजरारे, 
मेरा मन मचलता जाता है
यह खुदा की फिदरत मानो, 
जो इस सांचे में ढाला तुझे
फुर्सत में रचना की तेरी, 
हर कोई देख हर्षाता है
तुझे नापतोल तैयार किया, 
जैसे काम ना था उस दिन उसको
स्वर्ग से धरा पर तार दिया, 
जैसे रोज फुल बर्षाता हो
है कौन नसीबों वाला वो, 
तेरा गठबंधन होगा रूपा
मदन  सिंघल दिदार तेरे, 
कोई धन्य पुरुष ही पाता है। 
पत्रकार एवं साहित्यकार शिलचर, असम

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