दलित भुलक्कड़ होता है
मनीष चंद। दलित भुलक्कड़ होता है। उसे तीन दिन और 3 साल का बात याद नहीं रहता है, लेकिन वह हजारों साल पहले की बात शंबूक और एकलव्य पर कलम तोड़ता है। बहन जी ने समाजिक परिवर्तन स्थल बनाया, लेकिन संपूर्ण दलित साहित्य को उठा कर देख लिजिये, कहीं आपको समाजिक परिवर्तन स्थल और समाजिक परिवर्तन का जिक्र नहीं म…