किसान मेला एवं गोष्ठी में जिलाधिकारी ने कृषकों से किया फसल अवशेष न जलाने का अनुरोध

गौरव सिंघल, सहारनपुर। जिलाधिकारी  मनीष बंसल की अध्यक्षता में प्रमोशन आफ एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन फार इन-सीटू मैनेजमेन्ट आफ क्राप रेज्डयू योजना में कृषक जागरूकता कार्यक्रम के अन्तर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र के परिसर में किसान मेला एवं गोष्ठी  आयोजित की गयी। डीएम मनीष बंसल ने गोष्ठी में जनपद के विभिन्न विकास खण्डों से आये कृषकों को सम्बोधित करते हुए अपील की गयी कि कृषक फसल अवशेष न जलाये बल्कि समूह बनाकर यंत्रों की सहायता से फसल अवशेषों का प्रबन्धन कर अपनी मिट्टी का जीवांश कार्बन बढाकर मिट्टी की उर्वरता शक्ति बढायें। 

उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाये जाने से वायु प्रदूषण होता है, जिससे अनेक बीमारियॉ फैलती है। उन्होंने कृषकों से भविष्य को सुरक्षित रखने हेतु फसल अवशेष न जलाये जाने का अनुरोध किया। उप कृषि निदेशक डा0 राकेश कुमार द्वारा कृषकों को कृषि यंत्रों पर अनुदान की जानकारी देते हुए इन-सीटू योजनान्तर्गत फसल अवशेष प्रबन्धन के चिन्ह्ति कृषि यंत्रों यथा मल्चर, सुपर सीडर, बेलर, जीरोट्रिल रीपर कम बाइण्डर, एसएमएस आदि का प्रयोग कर फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु जागरूक किया गया। कृषि वैज्ञानिक केवीके डा0आईके कुशवाहा द्वारा कृषकों को अवगत कराया गया कि किसान भाई धान पराली प्रबन्धन में पराली को मसरूम उत्पादन करने के लिए प्रयोग कर सकते है और अपनी आय बढा सकते है, जिससे पराली का सदुपयोग किया जा सके। कृषि वैज्ञानिक के0वी0के0 डा0रविन्द्र कुमार तोमर द्वारा कृषकों को बताया गया कि कृषक धान की कटाई के बाद अपने फसल अवशेष (पराली) न जलायें, बल्कि फसल अवशेषों पर डिकम्पोजर का प्रयोग कर मिटटी में जीवांश कार्बन बढायें। 

जिला उद्यान अधिकारी गमपाल सिंह द्वारा उद्यान विभाग में संचालित योजनाओं के विषय में विस्तृत जानकारी दी गयी तथा इसके साथ-साथ यह भी बताया गया कि कृषक भाई 30एच0 पी0के ट्रैक्टर पर अधिकतम 1.00लाख रुपए तक का अनुदान प्राप्त कर सकते है। कार्यक्रम में वरिष्ठ प्राविधिक सहायक  एन0एस0बादल, 300 से अधिक कृषकों के साथ-2 वरिष्ठ कृषक जयपाल सिंह ग्राम-सॉपला बेगमपुर, विकास खण्ड नकुड आदि द्वारा प्रतिभाग कर फसल अवशेष प्रबन्धन के साथ-2 कृषि विभाग एवं अन्य विभागों में संचालित योजनाओं की पूर्ण जानकारी प्राप्त की गयी । कृषक गोष्ठी में जिला कृषि अधिकारी कपिल कुमार, कृषि रक्षा अधिकारी शिप्रा, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी आदि अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

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