शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। श्रीराम कॉलेज के कृषि विज्ञान एवं गृह विज्ञान विभाग के द्वारा स्वस्थ और स्वच्छ दुग्ध उत्पादों के निर्माण के लिए उन्नत दृष्टिकोण विषय पर चल रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन का शुभारंभ मुख्य अतिथि मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय में डीन फैक्लटी ऑफ एग्रिकल्चर डॉ. विजय कुमार, विशिष्ट अतिथि सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. वीरपाल सिंह, सीनियर वेटनरी ऑफिसर डॉ. मूलचंद पाल, डॉ. आलोक गुप्ता, श्रीराम ग्रुप आफ कालेजेज के चेयरमैन डॉ. एससी कुलश्रेष्ठ, श्रीराम कॉलेज के निदेशक डॉ अशोक कुमार, विभाग के अध्यक्ष डॉ. नईम एवं गृह विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. श्वेता राठी द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया।
इस अवसर पर सरदार वल्लभभाई पटेल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लाइवस्टोक प्रोडक्शन मैनेजमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ. वीरपाल सिंह ने बताया कि दूध में सबसे ज्यादा पानी वसा प्रोटीन कैल्शियम आदि घटक पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य की ग्रोथ के लिए तथा स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। उन्होंने बताया कि मनुष्यों के लिए बहुत लाभदायक है। उन्होंने बताया कि कार्यात्मक भोजन शब्द पहली बार जापान में 1980 के दशक के मध्य में पेश किया गया था। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक एजेंट के रूप में भोजन की भूमिका ने भोजन के एक नए वर्ग का प्रस्ताव रखा है, जिसे कार्यात्मक भोजन कहा जाता है, जिसका मेजबान स्वस्थ और कल्याण पर उनके पोषण मूल्य से परे सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।उन्होंने बताया कि दूध और डेयरी उत्पाद कई वर्षों से स्वास्थ्य लाभ से जुड़े हुए हैं, जिनमें भाइयों एक्टिव पेस्टिसाइड प्रोबायोटिक बैक्टीरिया एंटीऑक्सीडेंट विटामिन विशिष्ट प्रोटीन ओलिगोसैचेराइड कार्बनिक अम्ल अत्यधिक अवशोषित कैल्शियम संयुग्मी लिनोलेनिक एसिड और अन्य जैविक रूप से सक्रिय घटक शामिल है। उन्होंने बताया कि पाचन और जठरांत्र संबंधी कार्यों को संशोधित करना प्रोबायोटिक माइक्रो विकास और मीनू रेगुलेशन को नियंत्रित करना इन विशिष्ट खाद्य उत्पादों को बनाए रखना सुधारने के लिए कार्यात्मक विकास किया।
डॉ. पूजा शर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक एजेंट के रूप में भोजन की भूमिका ने भोजन के एक नए वर्ग का प्रस्ताव रखा है, जिसे क्रियात्मक भोजन कहां जाता है, जिसका मेजबान स्वस्थ और कल्याण पर उनके पोषण मूल्य से परे सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।उन्होंने बताया कि पाचन और जंक्शन संबंधी कार्यों को संशोधित करना है। उन्होंने बताया किमनो डायनॉमिक्स आदि को नियंत्रित करना इन विशिष्ट खाद्य उत्पादों को खाने से अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने सुधारने के लिए उपभोक्ता के बढ़ती रोशनी कई नए उत्पादक कार्यात्मक डेयरी उत्पादों का विकास किया है। उन्होंने बताया कि डेयरी उत्पादों में कई कार्यात्मक होते हैं, जो कोलेस्ट्रोल के अवशोषण को काम करते हैं। उन्होंने बताया कि रक्तचाप को काफी कम कर सकते हैं, तड़पती भोजन का सेवन और मोटापे से संबंधित चयापचय संबंधी विकारों के निर्माण में भूमिका निभा सकते हैं और अनुरोध ही प्रभाव डाल सकते हैं।
डॉ. मूल चंद्रपाल ने साफ दूध के बारे में बताया कि बचपन से ही हमें बताया जाता है कि दूध, दही, घी और अन्य डेयरी उत्पाद हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही यह शरीर में आवश्यक विटामिन और मिनरल्स की भी पूर्ति करते हैं। उन्होंने बताया कि दूध में गंदगी ना हो बैक्टीरिया ना हो आदि तथा अच्छी तरह से पशुशाला की देखभाल करना चाहिए, जिससे दूध खराब ना हो तथा पशुओं की साफ सफाई नियमित करनी चाहिए। उन्होंने दूध को साफ रखने के फायदे बताएं मनुष्यों की खपत के लिए, स्वास्थ पशुओं से निकालेंगे तो दूध को संरक्षित करने की क्षमता बढ़ जाएगी, दूध का पीएच 6.8 होना चाहिए। उन्होंने बताया कि दूध को रात में नहीं पीना चाहिए, क्योंकि मनुष्य के शरीर मे फैट को इनक्रीस करता है, जिससे शरीर मनुष्य का मोटा हो जाता है।
सेमिनार के दूसरे सत्र में डॉ. विजय कुमार ने बताया कि हमारे देश में बढ़ती हुई जनसंख्या तथा घटती हुई भूमि के कारण भविष्य में खाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए दूध से निकलने वाले प्रोडक्ट भी प्रयोग करना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि दूध एक ऐसा प्रोडक्ट है, जिसमे सभी पोषक तत्व होते है, इसलिए डेरी किसान को अपने डेयरी से दूध का अधिक से अधिक उत्पाद करना चाहिए।
चौधरी छोटू राम डिग्री कॉलेज के विभागाध्यक्ष डॉ. शशांक ने बताया कि दूध में लोग मिलावट इसलिए करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा आमदनी हो सके तथा आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सके, लेकिन यहां के लोग तथा हर जगह इसमें मिलावट अत्यधिक मात्रा में होती है, जिससे लोग मनुष्य के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। उन्होंने बताया कि स्टार्च माल्टोज ग्लूकोस शुगर यूरिया रिफाइंड शैंपू ,कपास के बीज का तेल और नारियल तेल, हाइड्रोजन पराक्साइड तथा फॉर्मलीन इत्यादि का भी इस्तेमाल करते हैं, जिसको मृत आदमी के शरीर को कुछ समय के लिए संरक्षित किया जाता है। उन्होंने बताया कि यूरिया मिलाने के कारण प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे मनुष्य को अत्यधिक बीमारियां हो जाती हैं तथा नाइट्रोजन भी बढ़ जाता है।
चौधरी छोटू राम डिग्री कॉलेज के विभागाध्यक्ष डॉ. शशांक ने बताया कि दूध में लोग मिलावट इसलिए करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा आमदनी हो सके तथा आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सके, लेकिन यहां के लोग तथा हर जगह इसमें मिलावट अत्यधिक मात्रा में होती है, जिससे लोग मनुष्य के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। उन्होंने बताया कि स्टार्च माल्टोज ग्लूकोस शुगर यूरिया रिफाइंड शैंपू ,कपास के बीज का तेल और नारियल तेल, हाइड्रोजन पराक्साइड तथा फॉर्मलीन इत्यादि का भी इस्तेमाल करते हैं, जिसको मृत आदमी के शरीर को कुछ समय के लिए संरक्षित किया जाता है। उन्होंने बताया कि यूरिया मिलाने के कारण प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे मनुष्य को अत्यधिक बीमारियां हो जाती हैं तथा नाइट्रोजन भी बढ़ जाता है।
सेमिनार के दौरान अलग-अलग प्रतियोगिताओं में आशीष (सीरीयल मिल्क श्रेणी), साकेत कार्निक् (योगर्ट श्रेणी), रीचा भारती (फ़रोज़ेन् डिस्सर्ट श्रेणी), पूजा कुमारी (छेना पेड़ा श्रेणी ), पलक (मटका मिल्क श्रेणी), प्रियंका (हर्बल घी श्रेणी), मुस्कान राज (वहेय् ड्रिंक श्रेणी ) पलक कुमारी (इम्प्रूव मिल्क क्वालिटी ) जबकि होम साइंस विभाग से परवीन और ज्योति सिरोही को (कलाकंद श्रेणी) में प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। दो दिवसीय कार्यशाला में 263 शोधकर्ताओं ने भाग लिया, जिसमें 80 प्रोडक्ट डेवलपमेंट 27 पोस्टर कंपटीशन पांच गेस्ट लेक्चर, 55 रिसर्च पेपर पब्लिश हुए 15 ओरल प्रेजेंटेशन प्रतिभागियों में भाग लिया। दो दिवसीय सेमिनार का संचालन गृह विभाग की प्रवक्ता सोफिया अंसारी ने किया। कार्यकम मे डा. नईम, डॉ. विक्रांत, डॉ. जितेंद्र, डॉ. अंजली, डॉ. अर्चना नेगी, आबिद, सचिन साहू, राजकुमार, सूरज कुमार, मुकुल, डॉ. श्वेता राठी, रूबी पोसवाल, अलीना सिद्धकी, काजल मावी, सोफिया अंसारी, ईशा अरोरा, पायल पुंडीर, आयशा गोर आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं।